अमलाई हादसा — जहाँ कानून लिखा था सुरक्षा के लिए, पर पढ़ा किसी ने नहीं!

24 News Channel Special Investigation & Legal Review
धर्मेन्द्र द्विवेदी, एडिटर-इन-चीफ, 24 News Channel
अमलाई (शहडोल), 15 अक्टूबर 2025


जब मैं पहुँचा — ज़मीन बोल रही थी, अफसर चुप थे

तीन दिन से डोज़र और ऑपरेटर अनिल कुशवाहा मिट्टी में दबे हैं,
पर आज (15 अक्टूबर) जब मैं पहुँचा,
ना कोई रेस्क्यू टीम, ना मशीन, ना अफसर।
साइट वीरान थी, और
SECL सब एरिया ऑफिस में
एरिया महाप्रबंधक, महाप्रबंधक (संचालन), उप क्षेत्रीय प्रबंधक, तहसीलदार
सब फाइलों और नाश्ते की मीटिंग में व्यस्त थे।

“जहाँ इंसान दबा था, वहाँ मिट्टी खुद बोल रही थी —
और जहाँ अफसर बैठे थे, वहाँ चुप्पी कानूनी अपराध बन चुकी थी।”


अब कानून की किताब से देखो — यह हादसा नहीं, अपराध है

1. Mines Act, 1952 (Section 23, 24, 72C):

खदान दुर्घटना की सूचना 24 घंटे के भीतर DGMS को देना अनिवार्य है।
दोषी अधिकारी पर “Negligence in Mines” का मुकदमा चल सकता है।

सवाल: क्या SECL ने DGMS को 24 घंटे में सूचित किया?
अगर नहीं — तो यह Section 72C के अंतर्गत criminal negligence है।


2. Coal Mines Regulations, 2017 – Reg. 107 (Dewatering of Working):

“किसी भी खदान के जलभरे क्षेत्र में कार्य शुरू करने से पहले
जलनिकासी और ड्रेनेज सिस्टम अनिवार्य है।”

स्थल निरीक्षण में न कोई pump line, न drainage arrangement।
यानी सीधा उल्लंघन — Reg.107।


3. Regulation 111 (Working Near Edges of Pits):

“ढाल के किनारे कार्य करने से पहले सुरक्षा बरम,
और ढाल का स्थिरता परीक्षण (slope stability test) अनिवार्य है।”

मशीनों के टायर प्रिंट ढाल के बिल्कुल किनारे तक गए हैं।
कोई बरम, कोई fencing नहीं — CMR 111 का खुला उल्लंघन।


4. Regulation 123 (Supervision of Work):

“हर दिन का कार्य ‘Competent Person’ द्वारा निरीक्षित होगा
और रिकॉर्ड Form-B में रखा जाएगा।”

अगर उप क्षेत्रीय प्रबंधक ने Daily Inspection Report नहीं बनाई —
तो यह Negligence of Duty है।


5. DGMS Technical Circular 1/2012:

“O.B. removal से पहले Bench Stability Test और Dewatering Certificate अनिवार्य है।”

अमलाई माइन में Bench या Berm दोनों का अभाव दिखा —
यानि DGMS Circular का पूर्ण उल्लंघन।


6. Disaster Management Act, 2005 – Section 24(1)(i) & 24(2):

जिला प्रशासन (कलेक्टर) की जिम्मेदारी है
कि वह Rescue Command Center स्थापित करे
और तब तक राहत कार्य जारी रखे जब तक सभी प्रभावित व्यक्तियों को खोज न लिया जाए।

आज मौके पर कोई रेस्क्यू टीम मौजूद नहीं थी।
यानी कलेक्टर कार्यालय द्वारा Disaster Management Act का भी उल्लंघन।


7. CrPC 174 & IPC 304A:

यदि किसी की मृत्यु या लापता घटना मानव लापरवाही से हुई हो,
तो पुलिस को Unnatural Death Case दर्ज कर
“Death by Negligence” के तहत FIR करनी होती है।

तीन दिन बीत चुके हैं —
कोई FIR नहीं, कोई Magisterial Inquiry नहीं।
यह CrPC 174 और IPC 304A दोनों की अवहेलना है।


तस्वीरों की भाषा — जो रिपोर्ट नहीं लिखती, वो धरती लिख देती है

फोटो में दिख रहा है:

Slope failure (8–12 इंच दरारें)

Toe erosion (नीचे से कटती मिट्टी)

Water logging (Hydro Pressure)

Benchless working (कई जगह बिना step-cut)

यह Accident नहीं, बल्कि Engineering Crime है।


24 News Channel का Geo-Technical निष्कर्ष

मिट्टी की “Shear Strength” खत्म,
Hydro Pressure बढ़ा,
और Drainage न होने से पूरा प्लेटफ़ॉर्म धँस गया।

यानी यह Prevention Failure है —
जिसकी जिम्मेदारी सीधे एरिया महाप्रबंधक और DGMS निरीक्षण तंत्र पर आती है।


जिम्मेदारी की कानूनी श्रृंखला

अधिकारी कानूनी जिम्मेदारी संभावित उल्लंघन

एरिया महाप्रबंधक (Sohaagpur) समस्त क्षेत्र की सुरक्षा व संचालन पर्यवेक्षण Mines Act Sec.23(1), CMR 111
महाप्रबंधक (संचालन) Pre-work clearance व सुरक्षा निरीक्षण CMR 107, DGMS Circular 1/2012
उप क्षेत्रीय प्रबंधक Daily supervision report CMR 123
कलेक्टर (जिला प्रशासन) Disaster Management Act 2005, Sec 24 Rescue control failure
पुलिस अधीक्षक CrPC 174, IPC 304A FIR non-registration
DGMS अधिकारी Inspection & Unsafe Zone Declaration CMR 131, DGMS Manual Para 5.3


जनता के सवाल – अब जवाब चाहिए

तीन दिन में न डोज़र निकला, न रेस्क्यू दिखा – क्यों?
क्या अधिकारी हादसे को धीरे-धीरे भूलने की कोशिश कर रहे हैं?
क्या DGMS निरीक्षक और SECL प्रबंधन दोनों ने रिपोर्ट मिलाकर फाइल दबा दी?
क्या अब मजदूर की जान की कोई कीमत नहीं?


24 News Channel की कानूनी माँग

Magisterial Inquiry तुरंत प्रारंभ की जाए।
FIR under Section 304A IPC दर्ज की जाए।
एरिया महाप्रबंधक, महाप्रबंधक (संचालन), उप क्षेत्रीय प्रबंधक को Suspension Pending Inquiry किया जाए।
DGMS मुख्यालय (धनबाद) से स्वतंत्र टीम जाँच करे।
R.K.T.C. कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर ठेका निरस्त किया जाए।
परिवार को ₹50 लाख मुआवज़ा व स्थायी नौकरी।


निष्कर्ष –

“कानून किताबों में जिंदा है, पर ज़मीन पर दफन।
जो DGMS को देखना था, वो कैमरे ने देखा।
जो SECL को रोकना था, वो मिट्टी ने रोक दिया।
और जो कलेक्टर को बचाना था, वो आज भी दबा पड़ा है।”

“यह हादसा नहीं — यह कानून, संवेदना और इंसानियत,
तीनों की सामूहिक हत्या है।”


जनहित में — 24 News Channel
प्रत्यक्ष निरीक्षण व रिपोर्टिंग: धर्मेन्द्र द्विवेदी
15 अक्टूबर 2025 | अमलाई सब एरिया, शहडोल


डिस्क्लेमर:
यह रिपोर्ट स्थल निरीक्षण, सार्वजनिक कानूनों और फोटोग्राफिक साक्ष्यों पर आधारित है।
इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति की छवि को हानि पहुँचाना नहीं,
बल्कि जनहित में Mines Act, CMR 2017, DGMS Circulars और Disaster Management Laws के पालन को सुनिश्चित करना है।


  • Related Posts

    अमलाई माइन — 5:25 की वो शाम: जब मिट्टी नहीं, जवाबदेही मरी

    धर्मेन्द्र द्विवेदी | एडिटर-इन-चीफ, 24 News Channelविशेष रिपोर्ट — अमलाई (शहडोल) श्री रमन्ना, जवाब दो — तुम कहाँ थे जब एक आदमी दफन हो रहा था? स्थल के प्रशासनिक प्रभारी…

    “राजस्व की साजिश और लहू से सनी ज़मीन” — केशवाही हत्याकांड के बाद मिथलेश राय की पोस्ट ने हिलाया प्रशासन!

    केशवाही डबल मर्डर के बाद सोशल मीडिया पर शहडोल निवासी मिथलेश राय की एक पोस्ट ने प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है।राय की पोस्ट में न केवल हालिया दोहरे…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *