अमलाई (शहडोल) | विशेष रिपोर्ट – धर्मेन्द्र द्विवेदी, एडिटर-इन-चीफ, 24 News Channel
जहाँ निरीक्षण होना था, वहीं हादसा हुआ – मिट्टी नहीं, जिम्मेदारी धँसी है
अमलाई ओपनकास्ट माइन (SECL, सोहागपुर क्षेत्र) में हुए हादसे ने खनन जगत की आत्मा हिला दी है।
यह कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सुरक्षा मानकों की खुली हत्या है —
और तस्वीरें खुद यह बयान दर्ज कर रही हैं।
साइट पर खींची गई तस्वीरों में साफ़ दिख रहा है —
पानी से भरा गहरा गड्ढा,
तीव्र ढालें जिन पर भारी मशीनें चलीं,
और चारों ओर कोई ड्रेनेज या चेतावनी व्यवस्था नहीं।
यानी यह “सिस्टम की विफलता” का सबसे नग्न चित्र है।
तस्वीरें बता रही हैं – DGMS और SECL दोनों ने नियमों की धज्जियाँ उड़ाईं
Coal Mines Regulation (CMR-2017) की धारा 107, 111 और 199
स्पष्ट रूप से कहती हैं:
“जहाँ जलभरा क्षेत्र हो, वहाँ कार्य प्रारंभ करने से पहले ड्रेनेज और निरीक्षण अनिवार्य है।”
लेकिन अमलाई में जो हुआ, वह नियमों का उल्टा नक्शा है:
न तो ड्रेनेज सिस्टम था,
न प्री-वर्क क्लीयरेंस,
और न DGMS निरीक्षक की उपस्थिति।
फोटो देखकर विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि स्लोप फेल्योर (Slope Failure)
और वाटर प्रेशर ही हादसे का मूल कारण हैं।
कानून क्या कहता है – जिम्मेदारी किसकी बनती है?
Mines Act, 1952 की धारा 18(2) और 23(1)
DGMS अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह हर सक्रिय खदान का निरीक्षण कर
“Unsafe Zone Declaration” जारी करे और “Work Suspension Notice” दे,
यदि खतरा दिखे।
इस मामले में DGMS की भूमिका “निरीक्षक” से “साक्षी” बन चुकी है।
क्योंकि हादसा ठीक उसी जगह हुआ जहाँ निरीक्षण का दायरा था।
Coal Mines Regulation 2017 – Regulation 123
प्रबंधन और Agent (Area Manager) दोनों यह सुनिश्चित करेंगे कि
“Dewatering, Drainage, and Bench Stability” का रिकॉर्ड प्रतिदिन सत्यापित हो।
यानी तकनीकी दृष्टि से Area Manager और DGMS दोनों पर दायित्व समान है —
एक ने “काम कराया”, दूसरे ने “देखा नहीं”।
चार अरब का ठेका, लेकिन एक ड्रेनेज लाइन नहीं — R.K.T.C. का खेल और प्रबंधन की खामोशी
अमलाई माइन में ओबी हटाने (O.B. Removal) का ठेका लगभग ₹4 अरब का है।
इतने बड़े ठेके में “Safety Management Plan” और “Pre-Excavation Clearance”
दोनों दस्तावेज़ अनिवार्य होते हैं —
जो इस हादसे में स्पष्ट रूप से अनुपस्थित हैं।
सवाल उठता है —
क्या ठेकेदार ने यह काम एरिया मैनेजर की मौखिक अनुमति से शुरू किया?
क्या DGMS को सूचना भेजी गई थी कि जलभरे क्षेत्र में मशीन उतारी जा रही है?
अगर नहीं — तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन है।
24 News Channel की तकनीकी जांच कहती है:
“मिट्टी धँसने से पहले सिस्टम धँस चुका था।”
हमारे Geo-Visual विश्लेषण के अनुसार:
स्लोप का कोण (approx. 45°) “unstable zone” में आता है,
पानी की सतह 22 मीटर से अधिक गहराई तक फैली है,
और स्थल पर “toe drain” या “pump line” का कोई निशान नहीं।
यह बताता है कि SECL प्रबंधन ने कार्य शुरू करने से पहले सुरक्षा निरीक्षण नहीं कराया।
अब DGMS और SECL दोनों को जवाब देना होगा
DGMS बताये — क्या इस साइट का Pre-Work Clearance Certificate जारी हुआ था?
SECL उप क्षेत्रीय प्रबंधक बताएं — क्या Water Table Report और Pumping Log Book सुरक्षित है?
ठेकेदार से पूछा जाए — क्या उसने Safety Permit लिया था?
यदि नहीं, तो यह मामला Section 72C (Negligence in Mines) के अंतर्गत
“Criminal Negligence” बनता है।
एक तस्वीर जो पूरी व्यवस्था को आईना दिखा गई
यह फोटो किसी कैमरे ने नहीं,
प्रबंधन की बेपरवाही ने खींची है।
“जहाँ निरीक्षण होना था, वहीं मौत हुई —
और जहाँ जिम्मेदारी थी, वहाँ खामोशी।”
अमलाई की मिट्टी में सिर्फ़ एक मजदूर नहीं धँसा,
बल्कि उस व्यवस्था का चेहरा भी,
जो खुद को नियमों का रक्षक कहती है।
24 News Channel की माँग – पारदर्शी जाँच हो, जिम्मेदारी तय हो
DGMS के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा स्वतंत्र जाँच दल गठित किया जाए।
SECL के उप-क्षेत्रीय प्रबंधक को तत्काल निलंबित कर
“कारण बताओ नोटिस” दिया जाए।
DGMS निरीक्षक और क्षेत्रीय प्रबंधक दोनों से
“Inspection Records” जब्त किए जाएँ।
मृतक कर्मी के परिवार को ₹50 लाख का मुआवज़ा और स्थायी नियुक्ति दी जाए।
भविष्य में DGMS निरीक्षण रिपोर्ट को ऑनलाइन सार्वजनिक किया जाए।
कानूनी नोट – 24 News Channel की तरफ़ से
यह रिपोर्ट खनन स्थल की उपलब्ध तस्वीरों,
सार्वजनिक नियमों (CMR 2017, Mines Act 1952, DGMS Circulars)
और विशेषज्ञ विश्लेषण पर आधारित है।
इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष को दोषी ठहराना नहीं,
बल्कि खनन सुरक्षा प्रणाली की जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
जनहित में प्रकाशित – धर्मेन्द्र द्विवेदी
Editor-in-Chief, 24 News Channel
(सच्चाई से समझौता नहीं)



