200 करोड़ की सरकारी जमीन अफसर–पटवारी ने हड़पी, अब IPC और MPLRC की धाराओं में फंसे अफसर
शहडोल।
जिले में 200 करोड़ का जमीन घोटाला सामने आया है जिसने पूरे प्रशासन की नींद उड़ा दी है। 20 खसरा नंबर की 100 एकड़ से अधिक सरकारी जमीन, जिसे कानूनन कभी भी निजी मिल्कियत नहीं बनाया जा सकता था, को अफसर–पटवारी गठजोड़ ने फर्जी दस्तावेज़ों और मिलीभगत से बेच डाला।
घोटाले की जड़
सरकारी जमीन को पहचानकर कागजों में निजी संपत्ति बना दिया गया।
फर्जी रजिस्ट्री के जरिए इसे चहेतों और रिश्तेदारों के नाम कर दिया गया।
नाम सामने आए – लक्ष्मी रेशमा तिवारी, पूर्णिमा तिवारी, संदीप तिवारी समेत कई और।
जमीन अब टुकड़ों में बिक रही है, और असली मालिक जनता को लूट लिया गया है।
किसकी मिलीभगत?
इस महाघोटाले में बड़े अफसरों पर गंभीर आरोप लगे हैं –
पूर्व कलेक्टर वंदना वैद्य
तत्कालीन एसडीएम नरेंद्र सिंह धुर्वे
नायब तहसीलदार अमित मिश्रा
सवाल यह है कि क्या इतने बड़े घोटाले में ये सिर्फ तमाशबीन थे या सीधे साझेदार?
पटवारियों का गंदा खेल
पटवारी वही जो जनता की जमीन को रिश्तेदारों का दहेज बना दें।
सवाल – क्या पटवारियों की कलम सरकारी जमीन को निजी बना सकती है? नहीं! यह सिर्फ भ्रष्टाचार की स्याही और अफसरों की छत्रछाया से संभव हुआ।
कांग्रेस नेता की शिकायत से खुला राज़
एक कांग्रेस नेता ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के साथ दस्तावेज़, सबूत और रजिस्ट्री की कॉपियां दी गईं।
अब EOW ने जांच शुरू कर दी है और कलेक्टर केदार सिंह ने राजस्व विभाग + सतर्कता समिति + पुलिस की संयुक्त जांच टीम गठित कर दी है।
कानूनी धाराओं में फंसा घोटाला
यह सिर्फ घोटाला नहीं, बल्कि भारतीय दंड संहिता (IPC) और मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (MPLRC) का खुला उल्लंघन है –
धारा 420 IPC – धोखाधड़ी कर संपत्ति हड़पना।
धारा 467 IPC – फर्जी दस्तावेज़ बनाना।
धारा 468 IPC – धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी।
धारा 471 IPC – फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग।
धारा 409 IPC – लोकसेवक द्वारा संपत्ति का दुरुपयोग।
धारा 120B IPC – आपराधिक षड्यंत्र।
इन धाराओं में आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
MPLRC का उल्लंघन –
धारा 57 MPLRC – सारी जमीन राज्य सरकार की है।
धारा 158 MPLRC – सरकारी जमीन को कोई भी व्यक्ति अपनी मिल्कियत घोषित नहीं कर सकता।
धारा 248 MPLRC – अवैध रजिस्ट्री को निरस्त कर जमीन वापस सरकारी खाते में दर्ज की जाएगी।
यानी इन रजिस्ट्री की कोई कानूनी हैसियत नहीं है, यह सीधे शून्य (Null & Void) है।
जनता के सवाल –
क्या EOW सिर्फ रिपोर्ट लिखेगा या गिरफ्तारी भी होगी?
क्या 200 करोड़ की जमीन जनता को वापस मिलेगी?
क्या दोषी अफसर–पटवारी जेल जाएंगे या फिर फाइलें रद्दी की टोकरी में दबा दी जाएंगी?
क्या यह प्रदेश की सबसे बड़ी जमीन लूट नहीं है?
24न्यूज़ चैनल की स्पेशल रिपोर्ट
“200 करोड़ की सरकारी जमीन लूट – अफसर–पटवारी पर IPC व MPLRC की धाराएं, अब जेल से बचना नामुमकिन!”
अस्वीकरण –
यह समाचार विभिन्न प्रकाशित रिपोर्टों, आधिकारिक दस्तावेज़ों और शिकायतों पर आधारित है। इसमें उल्लिखित नाम, पद व आरोप उन्हीं स्रोतों से लिए गए हैं।
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