एक्सक्लूसिव इन्वेस्टिगेशन -“RTI में खुला बड़ा खेल: बिना स्वीकृति जारी हुआ वर्क ऑर्डर, दस्तावेज़ छिपा रहा बिजली विभाग”

शहडोल।

24NewsChannel.in की पड़ताल में सामने आया है कि बिजली विभाग (म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, शाहडोल) ने सूचना का अधिकार (RTI) में दिए अपने ही जवाब से खुद की पोल खोल दी है।

मामला है — पकरिया तिराहा से मंजीत ढाबा तक SAMC योजना के अंतर्गत बिछाई गई 11 केवी लाइन, पोल और ट्रांसफार्मर कार्य का।

आवेदक ने क्या माँगा था?

RTI आवेदन दिनांक 24/09/2025 में माँगी गई सूचनाएँ:

योजना की स्वीकृति फाइल और आदेश

माप पुस्तिका (MB) और गुणवत्ता प्रमाणपत्र

स्टोर इश्यू रजिस्टर और सामग्री निर्गमन का ब्यौरा

साइट के फोटो/वीडियो

जिम्मेदारी निर्धारण और कार्रवाई की रिपोर्ट

ये सभी जानकारी सीधे–सीधे रिकॉर्ड और दस्तावेज़ से जुड़ी थीं।

विभाग ने क्या जवाब दिया?

22/09/2025 को मेल से दिए गए जवाब में PIO ने:

1. केवल अनुमान पत्र (₹ 4,06,569) और स्कीम कोड बताया।

2. बाकी सभी दस्तावेज़ देने से इनकार कर दिया।

3. और सूचना छिपाने के लिए RTI की लगभग सभी धाराएँ ठोक दीं:

8(1)(d) – व्यावसायिक गोपनीयता

8(1)(e) – फिड्युशियरी संबंध

8(1)(j) – निजी सूचना

8(1)(h) – जांच प्रभावित होगी

7(9) – सूचना देने में कठिनाई

4. इतना ही नहीं, यह भी लिख दिया कि “प्रश्नात्मक सवालों के जवाब नहीं दिए जाएंगे।”

यानी सूचना देने की बजाय पूरा जवाब टालने और दबाने की कोशिश की गई।

सबसे बड़ा खुलासा: वर्क ऑर्डर बनाम स्वीकृति तिथि

PIO द्वारा दिए गए दस्तावेज़ों में साफ लिखा है:

Work Order No. 12A484 – Date: 25/05/2019

Sanctioned Date (Estimate): 17/09/2020

मतलब, काम का आदेश 2019 में जारी कर दिया गया, जबकि स्वीकृति 2020 में मिली!

यह सीधे–सीधे नियम विरुद्ध है और पूर्व स्वीकृति के बिना काम बाँटने का प्रमाण है।

यानी पहले ठेका/काम बाँट दिया, बाद में कागज़ी मंजूरी दिखाई।

धाराओं का गलत इस्तेमाल –

PIO ने जिन धाराओं का हवाला दिया, उनका कानूनी खंडन इस प्रकार है:

धारा 8(1)(d): स्टोर रजिस्टर कोई व्यापारिक गोपनीयता नहीं, बल्कि लोक धन का हिसाब है।

धारा 8(1)(e): फोटो और विभागीय रिकॉर्ड फिड्युशियरी नहीं, ये सार्वजनिक दस्तावेज़ हैं।

धारा 8(1)(j): भ्रष्टाचार और लोक धन से जुड़ी सूचना कभी “निजी” नहीं हो सकती।

धारा 8(1)(h): जांच का हवाला देते हुए तिथि और आदेश तक नहीं बताया गया।

धारा 7(9): यह धारा सूचना रोकने के लिए नहीं, केवल स्वरूप बदलने के लिए है।

यानी PIO ने धाराओं का अंधाधुंध दुरुपयोग कर सूचना रोकी।

जनता से छिपाई गईं अहम जानकारियाँ –

माप पुस्तिका (MB): काम वास्तव में हुआ या नहीं, इसका सबसे बड़ा सबूत।

स्टोर इश्यू रजिस्टर: सामग्री कहाँ गई और कितनी खर्च हुई।

फोटो/वीडियो: साइट पर काम की असलियत का प्रमाण।

जिम्मेदारी निर्धारण: गड़बड़ी किसने की और क्या कार्रवाई हुई।

इन सबको छिपाने का मतलब साफ है कि काम में भारी गड़बड़ी और हेराफेरी हुई है।

आवेदक की टिप्पणी –

“PIO ने सच्चाई दबाने के लिए RTI की सभी धाराओं का गलत इस्तेमाल किया। लेकिन भ्रष्टाचार और लोकहित के मामलों में कोई अपवाद लागू नहीं होता। अब अपील की गई है और दोषियों पर कार्रवाई की माँग होगी।”

बड़ा सवाल –

1. बिना स्वीकृति आदेश के वर्क ऑर्डर किसके इशारे पर जारी हुआ?

2. सामग्री और खर्च का हिसाब क्यों छिपाया जा रहा है?

3. क्या विभाग के अधिकारी खुद इस गड़बड़ी में शामिल हैं?

4. आखिर जनता के पैसे का हिसाब कौन देगा?

निचोड़ –

यह मामला सिर्फ़ एक अनियमितता नहीं, बल्कि विभागीय तंत्र की गंभीर नाकामी और भ्रष्टाचार का सबूत है।

RTI में ही विभाग ने जो जवाब दिया, वही उसके गुनाहों की गवाही बन गया है।

अब देखना यह है कि अपीलीय प्राधिकारी (FAA) और उच्च अधिकारी इस पर जांच बैठाते हैं या फाइल दबाते हैं।

धर्मेन्द्र द्विवेदी

मुख्य संपादक, 24NewsChannel.in

 अस्वीकरण –

यह खबर सूचना का अधिकार (RTI) आवेदन और विभाग द्वारा दिए गए लिखित उत्तर के आधार पर तैयार की गई है। खबर में उल्लिखित सभी तथ्य संबंधित विभाग/अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज़ों से लिए गए हैं। 24NewsChannel.in ने इन तथ्यों को जस का तस प्रकाशित किया है। यदि किसी पक्ष को आपत्ति हो तो वे अपने दस्तावेज़ों/स्पष्टीकरण सहित संपर्क कर सकते हैं।

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