अमलाई ओपनकास्ट बना मौत का कुंआ — ठेकेदार कंपनी और एसईसीएल प्रबंधन की लापरवाही से फिर हुआ हादसा


अमलाई (शहडोल) / ब्यूरो रिपोर्ट – धर्मेन्द्र द्विवेदी, एडिटर-इन-चीफ, 24 News Channel

एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र के अमलाई ओपनकास्ट माइंस (OCM) में शनिवार शाम एक बार फिर बड़ा हादसा हुआ।
खदान में मिट्टी धंसने (स्लाइडिंग) से आर.के.टी.सी. कंपनी के अधीन कार्यरत डोज़र ऑपरेटर अपने वाहन सहित पानी से भरे गड्ढे में समा गया।
दुर्घटना के बाद रेस्क्यू जारी है, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।
इस घटना ने एक बार फिर खदान सुरक्षा और प्रबंधन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


खदान में पहले से था जलभराव, फिर भी जारी रहा काम

स्थानीय मजदूरों और सूत्रों के अनुसार, जिस स्थान पर हादसा हुआ वहां कई मीटर तक पानी जमा था और मिट्टी पूरी तरह अस्थिर थी।
इस स्थिति में भारी मशीनों का संचालन Mines Safety Act का उल्लंघन माना जाता है,
लेकिन फिर भी काम रुकवाने के बजाय ठेकेदार कंपनी को आगे बढ़ने की अनुमति दी गई।

“साइट इंचार्ज और अधिकारी दोनों को पता था कि इलाका खतरनाक है,
लेकिन उत्पादन लक्ष्य पूरा करने की जल्दबाज़ी में सब नजरअंदाज कर दिया गया,”
— एक श्रमिक ने बताया।


4 अरब रुपये का ठेका, सुरक्षा मानक शून्य

आर.के.टी.सी. कंपनी को अमलाई OCM में लगभग 4 अरब रुपये का कोयला उत्खनन और ओबी हटाने (Over Burden Removal) का ठेका मिला है।
मजदूरों का आरोप है कि कंपनी बिना सुरक्षा उपकरण, निगरानी कैमरों और इंजीनियरिंग निरीक्षण के ही काम कराती है।
यह सब कुछ एसईसीएल उप क्षेत्रीय प्रबंधन (Sub Area Management) की सीधी निगरानी में होता है,
इसलिए ठेकेदार कंपनी के साथ-साथ प्रबंधन की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए।

“जहाँ सुरक्षा निरीक्षण नहीं हुआ,
वहाँ अनुमति देने वाला अधिकारी भी उतना ही दोषी है,

— स्थानीय सूत्रों ने कहा।


कंपनी और प्रबंधन — दोनों की जिम्मेदारी

खदान संचालन का अंतिम नियंत्रण और अनुमोदन एसईसीएल प्रबंधन के पास होता है।
आर.के.टी.सी. कंपनी केवल कार्यान्वयन एजेंसी है,
लेकिन उसके सभी ऑपरेशन विभागीय निगरानी और स्वीकृति से ही चलते हैं।
ऐसे में यह सवाल अब अनिवार्य हो गया है —
क्या एसईसीएल उप क्षेत्रीय अधिकारी और सुरक्षा अधिकारी ने स्थल निरीक्षण किया था?
यदि नहीं, तो यह हादसा “संयुक्त लापरवाही” का परिणाम है।


साल भर पहले भी हुआ था बड़ा हादसा

करीब एक वर्ष पहले इसी अमलाई OCM में एक माइनिंग मशीन और कर्मचारी लापता हुए थे,
जिनका आज तक कोई पता नहीं चला।
मजदूरों का कहना है कि हर हादसे के बाद “सुरक्षा सुधार” के आश्वासन दिए जाते हैं,
लेकिन जमीनी स्थिति जस की तस बनी रहती है।

“यह खदान अब मौत का कुंआ बन चुकी है,
जहाँ उत्पादन को प्राथमिकता दी जाती है, सुरक्षा को नहीं,”

— स्थानीय मजदूरों ने कहा।


बचाव अभियान देर से शुरू, मौके पर अफरा-तफरी

घटना की सूचना मिलते ही धनपुरी थाना पुलिस, एसडीओपी और एसईसीएल अधिकारी मौके पर पहुँचे।
SDRF टीम को बुलाया गया, जिसने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार हादसे के शुरुआती घंटे कंपनी और प्रबंधन दोनों की निष्क्रियता में बीत गए।

“अगर तुरंत कार्रवाई होती, तो शायद स्थिति अलग होती,”
— प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया।


ग्रामीणों और मजदूरों में आक्रोश

घटना के बाद मजदूरों और स्थानीय लोगों में गहरा गुस्सा है।
उनका कहना है कि हर वर्ष किसी न किसी की जान जाती है,
लेकिन जिम्मेदारी कभी तय नहीं होती।
ग्रामीणों ने मांग की है कि ठेकेदार कंपनी और एसईसीएल उप क्षेत्रीय प्रबंधन दोनों के खिलाफ आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज किया जाए।


जांच शुरू, लेकिन भरोसा नहीं

धनपुरी पुलिस और एसडीओपी ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है।
प्रशासन ने एसईसीएल प्रबंधन और ठेकेदार कंपनी से रिपोर्ट मांगी है।
हालांकि मजदूरों को भरोसा नहीं कि जांच से कोई ठोस नतीजा निकलेगा —

“हर बार जांच होती है, लेकिन सजा किसी को नहीं मिलती।”


24 News Channel की मांग:

“अमलाई OCM हादसे की जांच DGMS (Directorate General of Mines Safety) द्वारा स्वतंत्र रूप से कराई जाए।
ठेकेदार कंपनी के साथ-साथ एसईसीएल उप क्षेत्रीय और क्षेत्रीय प्रबंधन दोनों को जांच के दायरे में लाया जाए।
खदानों में सुरक्षा निरीक्षण की रिपोर्टें सार्वजनिक की जाएँ और दोषियों पर आपराधिक कार्रवाई हो।”

“मजदूरों की जान कोई आंकड़ा नहीं — यह प्रबंधन की जिम्मेदारी है।”


डिस्क्लेमर (Disclaimer):
यह रिपोर्ट स्थानीय सूत्रों, मजदूरों और प्रत्यक्षदर्शियों से प्राप्त तथ्यों पर आधारित है। इसका उद्देश्य खदानों में सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही को उजागर करना है। किसी व्यक्ति विशेष की मानहानि करना इस रिपोर्ट का उद्देश्य नहीं है।


जनहित में – 24 News Channel
“हम सच लिखते हैं — क्योंकि जब जिम्मेदारी कागज़ों में दब जाती है,
तो खदानों में मजदूर दफन हो जाते हैं।”

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