अमलाई ओसीएम हादसे से दहला सोहागपुर क्षेत्र — 70 फीट पानी से भरी खाई में डूबे डोज़र और टिपर, एक श्रमिक की मौत की आशंका, बॉडी की तलाश जारी!

बारिश में भी डंपिंग कार्य जारी — सूत्रों का बड़ा खुलासा: अमलाई सब एरिया मैनेजर के आदेश से चला था काम!

स्थान: एसईसीएल सोहागपुर एरिया, अमलाई ओपन कास्ट माइन (ओसीएम)
तारीख: 11 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
समय: शाम लगभग 5:30 बजे


घटना का विवरण (विश्वसनीय सूत्रों से):
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज शाम लगभग साढ़े पाँच बजे, अमलाई ओसीएम के मैगजीन साइड पर एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसने पूरे एसईसीएल क्षेत्र को हिला दिया।
ठेकेदार कंपनी आर.के.टी.सी. (RKTC) का डोज़र और टिपर, जो ओवरबर्डन (OB) डंपिंग कार्य में लगे थे,
अचानक फिसलकर लगभग 70 फीट गहरी, पानी से भरी खाई में जा गिरे।

खाई में बारिश का पानी भरा हुआ था — दोनों वाहन कुछ ही मिनटों में पूरी तरह पानी में समा गए।
घटना के दौरान तीन श्रमिक मौके पर मौजूद थे —

दो को गंभीर हालत में बाहर निकाला गया और सेंट्रल हॉस्पिटल, धनपुरी भेजा गया।

जबकि एक श्रमिक का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है, और उसकी बॉडी की तलाश देर रात तक जारी है।


बारिश में भी जारी रहा डंपिंग कार्य — आदेश किसका था?
सूत्रों का दावा है कि सुबह से क्षेत्र में लगातार बारिश और फिसलन के बावजूद
अमलाई सब एरिया मैनेजर के आदेश से डंपिंग कार्य जारी रखा गया।
मजदूरों और पर्यवेक्षकों ने काम रोकने का सुझाव दिया, लेकिन प्रबंधन ने
“उत्पादन लक्ष्य” का हवाला देकर इसे ठुकरा दिया।

“मिट्टी दलदल बन चुकी थी, पानी भर गया था, लेकिन सब एरिया मैनेजर ने साफ कहा — काम रुकेगा नहीं।
अब वही आदेश एक मजदूर की जान ले गया।”
— साइट पर मौजूद एक कर्मचारी ने बताया।


अधिकारियों की चुप्पी और लापरवाही:
हादसे के बाद न तो अमलाई सब एरिया मैनेजर, न ही सुरक्षा अधिकारी मौके पर पहुंचे।
सूत्रों के मुताबिक, घटना के तुरंत बाद कई अधिकारी मोबाइल स्विच ऑफ कर बैठे रहे,
जिससे रेस्क्यू में देरी हुई और हालात और बिगड़े।
स्थानीय कर्मचारियों का कहना है —

“यह हादसा नहीं, अपराध है। आदेश ऊपर से आया, मौत नीचे हुई।”


सुरक्षा नियमों की धज्जियाँ:
बारिश और जलभराव के बावजूद कार्य क्यों जारी रहा?
क्या सेफ्टी ऑफिसर ने खतरे की चेतावनी दी थी?
क्या सब एरिया मैनेजर और आरकेटीसी प्रबंधन ने मिलकर नियमों को तोड़ा?
क्या यह उत्पादन के दबाव में लिया गया खतरनाक निर्णय था?

यह साफ हो चुका है कि मानव सुरक्षा से बड़ी चीज़ एसईसीएल में “टारगेट शीट” बन चुकी है।


स्थानीय यूनियन नेताओं का बयान:

“अमलाई सब एरिया मैनेजर और ठेकेदार कंपनी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज होना चाहिए।”
“हर बारिश में यही कहानी दोहराई जाती है — अधिकारी बैठकों में सुरक्षा की बात करते हैं, ज़मीन पर मौत होती है।”


जनहित की माँग:

सीएमडी स्तर पर जांच टीम गठित की जाए।

अमलाई सब एरिया मैनेजर, सुरक्षा अधिकारी और आरकेटीसी ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज हो।

मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवज़ा और एक सदस्य को स्थायी रोजगार मिले।

बारिश या जलभराव में डंपिंग पर स्थायी रोक के स्पष्ट निर्देश जारी किए जाएँ।


संपादकीय टिप्पणी:

“यह हादसा तकनीकी नहीं, मानसिक दिवालियेपन का परिणाम है।”
“जब सुरक्षा कागज़ों में और मौत ज़मीन पर लिखी जाती है, तब सिस्टम इंसानों का कब्रिस्तान बन जाता है।”

अमलाई ओसीएम की यह त्रासदी न केवल एक मजदूर की मौत की कहानी है,
बल्कि अमलाई सब एरिया मैनेजर और सुरक्षा विभाग की नाकामी की गवाही भी है।
अब सवाल सिर्फ़ यह नहीं कि हादसा कैसे हुआ — सवाल यह है कि
यह आदेश किसने दिया और उस आदेश का दंड कौन देगा?


रिपोर्ट: धर्मेन्द्र द्विवेदी
एडिटर-इन-चीफ, 24 News Channel
(जनहित में, सत्य के पक्ष में — यह रिपोर्ट विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है)

डिस्क्लेमर:

यह रिपोर्ट विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है।
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उनका पक्ष प्राप्त होने पर समाचार में अद्यतन किया जाएगा।
इस रिपोर्ट का उद्देश्य केवल जनहित में सूचना देना है, किसी व्यक्ति या संस्था की छवि को ठेस पहुँचाना नहीं।

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