एसईसीएल ऑफिसर कॉलोनी में गैरकानूनी कटाई – 40 साल पुराना सरई पेड़ ढहा, क्वार्टर धारक अफसर और एरिया महाप्रबंधक की जिम्मेदारी पर उठे सवाल

शहडोल/सोहागपुर।

एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र की ऑफिसर कॉलोनी का क्वार्टर नंबर डी-1 आज सुर्खियों में है। यहाँ रेनोवेशन की आड़ में लगभग 30–40 साल पुराना सरई का पेड़ काट दिया गया।

सूचना पर पहुँचे बुढ़ार वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर कमला वर्मा ने मौके पर लकड़ी और आरा मशीन जब्त की। मौके से धनपुरी निवासी अरुण सोनी और उसका सहयोगी पकड़े गए, जिन्हें बाद में निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया।

 तस्वीर गवाह है –

पेड़ की मोटाई लगभग 1.80 मीटर और लंबाई 14–15 मीटर थी – दशकों पुराना सरई का पेड़।

गिरी टहनियाँ और ताज़ी पत्तियाँ बताती हैं कि कटाई हाल ही में हुई।

कॉलोनी की इमारतों के बीच गिरे पेड़ का दृश्य बताता है कि घटना सीधे ऑफिसर कॉलोनी के भीतर हुई।

 कानून की नजर से अपराध –

भारतीय वन अधिनियम 1927 – धारा 26(1): बिना अनुमति पेड़ काटना अपराध।

म.प्र. वृक्ष संरक्षण अधिनियम 2001 – धारा 4/5: अनुमति के बिना कटाई पर प्रकरण और जुर्माना।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 – धारा 15: 5 साल तक की कैद और 1 लाख रुपये जुर्माना।

आईपीसी धारा 379/420/120B: चोरी, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र।

 क्वार्टर धारक अफसर और GM की जिम्मेदारी

क्वार्टर डी-1 किसी श्रीवास्तव नामक अफसर को अलॉट बताया जा रहा है।

एरिया पर्सनल मैनेजर ने नाम बताने से परहेज़ किया, लेकिन जब ऑपरेशन जीएम मनीष कुमार श्रीवास्तव का जिक्र हुआ तो उन्होंने टालते हुए कहा – “हो सकता है… और आपकी जानकारी हमेशा पुख्ता रहती है।”

 कानून साफ कहता है कि क्वार्टर में हुई अवैध गतिविधि की प्रत्यक्ष जिम्मेदारी अलॉटेड अफसर की बनती है।

लेकिन यदि अलॉटमेंट की जानकारी छुपाई जाती है, तो फिर जिम्मेदारी सीधे एरिया महाप्रबंधक (GM) पर तय होगी, क्योंकि पूरा क्षेत्र, कॉलोनी और क्वार्टर उनकी अभिरक्षा में आते हैं।

किसी क्वार्टर में पेड़ कैसे काटा गया, यह पूछने का अधिकार और जवाब देने की जिम्मेदारी GM से आगे टाली नहीं जा सकती।

 लकड़ी की कीमत और हेराफेरी का एंगल –

वन विभाग सूत्रों के अनुसार, इतने बड़े सरई पेड़ की लकड़ी की कीमत लाखों रुपये तक हो सकती है।

यही सबसे बड़ा खेल है – पेड़ कटने के बाद अक्सर लकड़ी का मूल्यांकन कागज़ों में कम दिखाकर या सपुर्दगी की प्रक्रिया में गोलमाल कर दिया जाता है और यह रकम सीधे जेबों में चली जाती है।

 आगे का रास्ता –

अरुण सोनी और सहयोगी पर एफआईआर दर्ज हो।

क्वार्टर धारक अफसर का नाम सार्वजनिक कर निलंबन।

यदि अलॉटमेंट की जानकारी छुपाई जाती है, तो एरिया GM पर सीधी जवाबदेही तय की जाए।

लकड़ी की वास्तविक कीमत का आकलन कर तीन गुना हर्जाना वसूला जाए।

वन न्यायालय में प्रकरण पेश कर दोषियों पर सख्त सज़ा।

 यह घटना केवल एक पेड़ की कटाई नहीं, बल्कि उस पुराने खेल की पोल खोलती है जहाँ हरे पेड़ गिरते हैं, लकड़ी की गिनती कागज़ों में घट जाती है और असली कीमत सीधे जेबों में पहुँच जाती है। अब देखने वाली बात यह है कि कार्रवाई छोटे मजदूरों तक सीमित रहती है या क्वार्टर धारक अफसर और एरिया GM तक पहुँचती है।

 अस्वीकरण –

इस समाचार में वर्णित तथ्य वन विभाग की कार्रवाई, सूत्रों से प्राप्त जानकारी तथा मौके पर उपलब्ध परिस्थितिजन्य प्रमाणों पर आधारित हैं।

यहाँ उल्लिखित अधिकारी/कर्मचारी का उल्लेख केवल संभावित अलॉटमेंट और प्रशासनिक बयानों के आधार पर किया गया है।

किसी व्यक्ति विशेष को प्रत्यक्ष रूप से दोषी ठहराने का उद्देश्य नहीं है।

अंतिम निष्कर्ष प्रशासनिक अथवा न्यायिक जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।

  • Related Posts

    अमलाई माइन — 5:25 की वो शाम: जब मिट्टी नहीं, जवाबदेही मरी

    धर्मेन्द्र द्विवेदी | एडिटर-इन-चीफ, 24 News Channelविशेष रिपोर्ट — अमलाई (शहडोल) श्री रमन्ना, जवाब दो — तुम कहाँ थे जब एक आदमी दफन हो रहा था? स्थल के प्रशासनिक प्रभारी…

    “राजस्व की साजिश और लहू से सनी ज़मीन” — केशवाही हत्याकांड के बाद मिथलेश राय की पोस्ट ने हिलाया प्रशासन!

    केशवाही डबल मर्डर के बाद सोशल मीडिया पर शहडोल निवासी मिथलेश राय की एक पोस्ट ने प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है।राय की पोस्ट में न केवल हालिया दोहरे…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *