“बिजली के डाकू : जब लाइनें खड़ी हुईं और जेबें खाली हो गईं”

पात्रों का रंगमंच –

JE : वह खिलाड़ी जो लाइन खड़ा करने का ठेका लेकर किसान की जेब खाली करता है।

DE (डी.के. तिवारी) : कागज़ पर “पत्र लेखक”, असल में स्टीमेट का जादूगर।

SE : जाँच का पुजारी — हर घोटाले को “समाप्त” करने का मंत्र जानता है।

CE : मौन साधक — ऊपर बैठकर सब देखता है, पर बोलता कुछ नहीं।

आउटसोर्स गैंग (जीतेन्द्र विश्वकर्मा और अखिलेश मिश्रा) : वसूली का ATM।

किसान उमेश पटेल : बेबस शिकार, जिसे अपनी जेब ही नहीं रिश्तेदारी की जेब भी खाली करनी पड़ी।

 पहला चैप्टर — बुढ़ार का रहस्य

2018 : 11 खंभे, तार और ट्रांसफार्मर खड़े।

2024 : सब गायब।

SE की रिपोर्ट : “लाइन समाप्त”।

CE का आदेश : “ठीक है, फाइल बंद करो।”

सवाल हवा में गूंजा –

“क्या खंभे पंख लगाकर उड़ गए या अफसरों के आँगन में पहुँच गए?”

 दूसरा चैप्टर — पड़रिया का डाका

किसान उमेश पटेल से कहा गया : “11 के.वी. लाइन चाहिए? पैसा जमा करो।”

विभागीय खाते में पैसा नहीं गया।

रिश्तेदार तरुण पटेल से रकम उठवाई गई।

रकम का हिस्सा अखिलेश मिश्रा के निजी खाते में जमा, बाक़ी नकद जीतेन्द्र विश्वकर्मा के पास।

ऊपर से बोनस — जवाहर गुप्ता का अनुदान वाला ट्रांसफार्मर यहाँ फिट कर दिया गया।

 सबूत मौजूद हैं –

JE विश्वकर्मा का डिजिटल पंचनामा।

लाइनमैन का पंचनामा।

उमेश पटेल का शपथ पत्र।

अखिलेश मिश्रा का बयान।

 सवाल –

“जब सबूत गवाही दे रहे हैं तो अफसर चुप क्यों हैं?”

तीसरा चैप्टर — स्टीमेट का तिलिस्म

पुराना Estimate (Project No. 697781, दिनांक 22-03-2022)।

JE की ID से बना, जबकि वह JE उस क्षेत्र में था ही नहीं — उसका ट्रांसफ़र हो चुका था।

यानी Estimate पूरी तरह फ़र्ज़ी।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई…

तत्कालीन DE डी.के. तिवारी ने नया Estimate बनवाया, ताकि अवैध लाइन को कागज़ों में वैध बना सके।

 तंज़ –

“यहाँ Estimate काम का नहीं, गुनाह को ढकने का औज़ार है।”

 चौथा चैप्टर — जीतेन्द्र विश्वकर्मा की पुरानी करतूत

पत्र क्रमांक 09543/08/3518-19 दिनांक 13.11.2024 में लिखा है कि उसने उपभोक्ता से ₹45,000 लिए थे।

कार्रवाई नहीं हुई।

आज वही जीतेन्द्र लाखों की जेबकाट में शामिल है।

 तंज़ –

“छोटा गुनाह दबा दिया, तो उसने बड़ा साम्राज्य बना लिया।”

पाँचवाँ चैप्टर — CE–SE की जोड़ी

MD से शिकायत आई।

CE ने SE को भेज दी।

CE मौन, SE ने लीपापोती।

 जनता की आवाज़

“CE गेंद आगे बढ़ाता है, SE गोल दफन कर देता है।”

सवालों की बौछार –

“अगर पंचनामा और शपथ पत्र हैं तो कार्रवाई क्यों नहीं?”

“जब JE की ID फ़र्ज़ी इस्तेमाल हुई तो जिम्मेदार कौन?”

“DE ने नया Estimate रिश्वत लेकर क्यों बनाया?”

“SE की जाँच हर बार गुनाहगार को बचाने पर क्यों खत्म होती है?”

“CE आखिर कब तक मौन रहकर ढाल बना रहेगा?”

“शहडोल की जनता बिजली की रोशनी कम और भ्रष्टाचार का करंट ज़्यादा झेल रही है। सवाल यही है — क्या इस करंट का फ्यूज़ कोई उड़ाएगा?”

अस्वीकरण –

यह रिपोर्ट बुढ़ार एवं पड़रिया प्रकरण से जुड़े विभागीय पत्र क्रमांक 09543/08/3518-19 दिनांक 13.11.2024, Estimate Report Project No. 697781 (दिनांक 22-03-2022), पंचनामा, शपथ पत्र, बैंक विवरण और अन्य दस्तावेज़ी साक्ष्यों के आधार पर तैयार की गई है। इसमें उल्लिखित तथ्य केवल जनहित में प्रस्तुत किए गए हैं। यदि किसी अधिकारी/कर्मचारी को इस पर आपत्ति है तो वे अपना पक्ष ‘24 News Channel’ को भेज सकते हैं। चैनल उनके जवाब को भी समान रूप से प्रकाशित करेगा।

  • Related Posts

    अमलाई माइन — 5:25 की वो शाम: जब मिट्टी नहीं, जवाबदेही मरी

    धर्मेन्द्र द्विवेदी | एडिटर-इन-चीफ, 24 News Channelविशेष रिपोर्ट — अमलाई (शहडोल) श्री रमन्ना, जवाब दो — तुम कहाँ थे जब एक आदमी दफन हो रहा था? स्थल के प्रशासनिक प्रभारी…

    “राजस्व की साजिश और लहू से सनी ज़मीन” — केशवाही हत्याकांड के बाद मिथलेश राय की पोस्ट ने हिलाया प्रशासन!

    केशवाही डबल मर्डर के बाद सोशल मीडिया पर शहडोल निवासी मिथलेश राय की एक पोस्ट ने प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है।राय की पोस्ट में न केवल हालिया दोहरे…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *