
एडिटर नोट :
इस खबर के पूर्व प्रकाशित संस्करण में परेड सुरक्षा इकाई का नाम गलतवश CISF लिखा गया था। तथ्यों के सत्यापन के बाद स्पष्ट हुआ कि यह इकाई SISF (State Industrial Security Force) थी। खबर को संशोधित कर दिया गया है और यह अद्यतन संस्करण प्रस्तुत है। हमारी प्राथमिकता हमेशा तथ्यपरक और जिम्मेदार पत्रकारिता है।
सोहागपुर/शहडोल। दक्षिण पूर्वी कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) सोहागपुर क्षेत्र में पदस्थ Deputy Manager (Mining) अमित सिंह विवादों में आ गए हैं। गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर उन्होंने State Industrial Security Force (SISF) के अधिकारियों और जवानों के बीच खड़े होकर फोटो खिंचवाई और उसे सोशल मीडिया पर साझा किया।
तस्वीर में साफ़ देखा जा सकता है कि अमित सिंह सिविल ड्रेस और SECL का आईडी कार्ड लगाए, परेड की पंक्ति के बीच खड़े हैं। उनके चारों ओर वर्दीधारी अधिकारी और जवान मौजूद हैं। सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा – “Republic Day Parade ke avsar pr SISF team ke sath…”।
प्रोटोकॉल का सवाल
सुरक्षा बलों की परेड में शामिल होना और सलामी लेना केवल उन्हीं को अधिकार है जो या तो बल के वरिष्ठ अधिकारी हों या फिर सरकार/प्रशासन के औपचारिक मुख्य अतिथि (राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, कलेक्टर आदि)। किसी PSU अधिकारी—खासकर E-4 ग्रेड (Deputy Manager Mining) स्तर के कर्मचारी—को परेड में शामिल होने या जवानों की पंक्ति में खड़े होने का कोई अधिकार नहीं है।
गंभीर प्रश्न
क्या एक खनन अधिकारी को सुरक्षा बल की परेड में खड़ा होना चाहिए था ?
क्या इससे बल की गरिमा और अनुशासन का उल्लंघन नहीं हुआ?
SECL प्रबंधन और SISF अधिकारी इस पर चुप क्यों हैं?
निष्कर्ष
यह मामला केवल एक औपचारिक फोटो नहीं है, बल्कि प्रोटोकॉल की गंभीर अनदेखी को दर्शाता है। एक माइनिंग अफसर द्वारा सुरक्षा बल की पंक्ति में खड़े होकर खुद को प्रस्तुत करना न सिर्फ़ गलत संदेश देता है, बल्कि सुरक्षा बल की अनुशासनात्मक परंपरा पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।