“गौमाता राष्ट्रमाता” — शहडोल में गूंजा गो-स्वाभिमान आंदोलन का बिगुल!

धर्मेन्द्र द्विवेदी, एडिटर-इन-चीफ – 24 News Channel (शहडोल)

अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान ने मुख्यमंत्री के नाम 8 सूत्रीय माँगपत्र सौंपा, सड़कों पर उमड़ी आस्था की लहर!


शहडोल, 29 अक्टूबर 2025।
विंध्यभूमि की पवित्र धरती आज “जय गोपाल-जय गोमाता” के जयघोष से कांप उठी।
गोपाष्टमी पर्व के अवसर पर अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान, कल्याणपुर द्वारा आयोजित “गौ रक्षा, गो-स्वाभिमान आंदोलन” में श्रद्धा, धर्म और सामाजिक चेतना का अद्भुत संगम देखने को मिला।

हर ओर एक ही स्वर था —

“गौमाता केवल आस्था नहीं, राष्ट्र की आत्मा हैं — अब नहीं सहेंगे गौवंश की दुर्दशा!”


धार्मिक जनसैलाब जिसने प्रशासन को झकझोर दिया

कल्याणपुर से लेकर कलेक्ट्रेट परिसर तक सैकड़ों महिलाएं, युवक और गौसेवक भगवा भाव से सराबोर होकर “गौ माता राष्ट्रमाता” के नारे लगाते हुए पहुँचे।
आंदोलन का दृश्य ऐसा था मानो स्वयं धर्म, करुणा और सेवा एक मंच पर उतर आए हों।

मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन के नाम सौंपे गए ज्ञापन में 8 विस्फोटक माँगें रखी गईं — जिनसे प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मच गया।


मुख्य माँगें – गो-सेवा की दिशा में जनक्रांति की शुरुआत

गौ-नर्सरी रोजगार योजना — हर जिले में युवाओं को रोजगार और आस्था से जोड़ने हेतु गौ-नर्सरी खोली जाए।
गौ-अभ्यारण्य निर्माण — अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान को भूमि आवंटित कर 10,000 वर्गमीटर क्षेत्र में अभ्यारण्य स्थापित किया जाए।
हाइड्रोलिक रेस्क्यू एम्बुलेंस — सड़क दुर्घटनाओं में घायल गौवंश को तत्काल बचाने हेतु आधुनिक एम्बुलेंस की व्यवस्था।
SPCA टीम को पुनः सक्रिय किया जाए — गौ तस्करी और क्रूरता पर कठोर कार्रवाई के लिए विशेष पुलिस बल बनाया जाए।
नगरपालिका द्वारा हटाए गए गौसेवकों की पुनः नियुक्ति।
AWBI व म.प्र. गौसंवर्धन बोर्ड में संस्था का पंजीयन कर सरकारी मान्यता प्रदान की जाए।


“गौ माता धर्म की धुरी, और राष्ट्र की आत्मा हैं”

सभा में गौसेवकों ने भावभीनी पुकार लगाई —

“गौ केवल धर्म नहीं, विज्ञान और पर्यावरण की जननी हैं।
उनका संरक्षण मानवता का पुनरुत्थान है।”

महिलाएं “जय गोपाल, जय गोमाता” के नारे लगाते हुए आगे बढ़ीं,
वहीं युवाओं ने अपने सीने पर लिखा —
‘गौमाता राष्ट्रमाता’,
‘हाइड्रोलिक एम्बुलेंस चाहिए’,
‘एमपीसीए समिति में गौसेवकों को स्थान दो’।


जनसैलाब बना जनक्रांति

कलेक्ट्रेट के बाहर आस्था का ऐसा नज़ारा कम ही देखने को मिलता है।
भक्तिभाव में डूबी महिलाओं की टोली, युवाओं का जोश और गौसेवकों की एकता ने यह साबित कर दिया कि —

“अब गौ रक्षा सिर्फ़ धर्म नहीं, जनता की माँग बन चुकी है।”

संस्थान के प्रमुख पं. शिवानंद शुक्ल, अरुण गौतम, रूपेश गुप्ता, श्रीमति ऊषा तिवारी सहित कई समाजसेवकों ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा —

“जब तक एक भी गौमाता सड़कों पर भटक रही है, हमारी सेवा अधूरी है।”


धार्मिक चेतना से उपजी जनभावना

अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान की यह पहल केवल आंदोलन नहीं —
बल्कि गो-स्वाभिमान पुनर्जागरण का आगाज़ है।
इस आंदोलन ने यह संदेश दिया कि —

“गौ रक्षा ही राष्ट्र रक्षा है,
और गौ सेवा ही भारत का पुनरुत्थान।”


निष्कर्ष – अब गौ सेवा बनेगी नीति, नारा नहीं

विंध्य की पावन भूमि से उठी यह आवाज़ अब प्रदेश की सीमाओं से आगे जा चुकी है।
लोगों ने कहा —

“जिस दिन हर गाँव में गौशाला बनेगी, हर किसान गौमाता से जुड़ेगा —
उसी दिन भारत पुनः ‘सोने की चिड़िया’ कहलाएगा।”


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