शहडोल / धनपुरी।
आज देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 156वीं जयंती मना रहा है। हर साल 2 अक्टूबर को पूरा भारत उस महापुरुष को श्रद्धांजलि देता है जिसने सत्य, अहिंसा और नैतिकता के बल पर दुनिया की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी ताक़त को झुकने पर मजबूर कर दिया।
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। सादगी, सत्यनिष्ठा और न्याय के मार्ग पर चलकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। “अहिंसा परमो धर्मः” और “सत्य ही ईश्वर है” जैसे उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने आज़ादी के दौर में थे।
गांधी जी का मानना था कि बिना हिंसा के भी परिवर्तन संभव है। उन्होंने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से लेकर नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन तक हर आंदोलन में जनता को जोड़ा और साबित किया कि जनशक्ति ही सबसे बड़ी ताक़त होती है।
आज भी जब समाज हिंसा, असहिष्णुता और अन्याय की ओर बढ़ता दिखता है, गांधी जी की शिक्षाएँ हमें रास्ता दिखाती हैं। सत्य, सहिष्णुता, प्रेम और शांति का मार्ग ही एक समृद्ध और मजबूत भारत का मार्ग है।
लेकिन विडंबना यह है कि आज उन्हीं गांधी के देश में झूठ, छल और भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
जिन आदर्शों के लिए उन्होंने जीवन समर्पित किया, वही आज अक्सर सियासी भाषणों और सरकारी दीवारों तक सिमटकर रह गए हैं। फिर भी उम्मीद बाकी है – जब तक गांधी के विचार जिंदा हैं, तब तक यह देश झुकेगा नहीं।
इस गांधी जयंती पर आओ, हम सभी उनके दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प लें —
झूठ पर सत्य की जीत हो।
घृणा पर प्रेम की विजय हो।
हिंसा पर अहिंसा का परचम लहराए।



