
शहडोल।
पकरिया तिराहा से मंजीत सिंह के ढाबा तक वर्ष 2018 में स्थापित 11 के.व्ही. विद्युत लाइन (11 पोल, ट्रांसफार्मर, तार व इन्सुलेटर) वर्ष 2024 तक खड़े-खड़े रहस्यमय तरीके से गायब हो गई। लाखों रुपये की सरकारी संपत्ति हजम हो गई लेकिन विभाग अब तक मौन है।
शिकायत के बाद भी एम.डी. ने नहीं दी सूचना
इस मामले की शिकायत अगस्त 2025 में सीधे प्रबंध निदेशक, म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, जबलपुर को की गई थी। लेकिन आज तक एम.डी. स्तर से कोई सूचना या कार्रवाई की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई।
शिकायत को केवल अधीनस्थ अधिकारियों को फॉरवर्ड कर दिया गया और जांच के नाम पर लीपापोती कर दी गई।
एस.ई. की जांच खुद भ्रष्टाचार का सबूत
जांच में न तो एफ.आई.आर. दर्ज हुई, न पंचनामा बना, न ही साइट नक्शा तैयार हुआ।
शिकायतकर्ता को जांच में शामिल तक नहीं किया गया।
गायब हुए 11 पोल, ट्रांसफार्मर और तार का कोई हिसाब नहीं दिया गया।
एस.ई. की रिपोर्ट में स्वीकार किया गया कि विभाग में इस तरह की 40 घटनाएँ पहले भी घट चुकी हैं।
अनुत्तरित सवाल
2018 में स्थापित लाइन आखिर 2024 तक आते-आते कहाँ गायब हो गई?
“डेड” बताने के बावजूद पोल और ट्रांसफार्मर का लेखा-जोखा क्यों नहीं है?
लाखों रुपये की संपत्ति बिना मिलीभगत के कैसे साफ़ हो सकती है?
विभाग अब तक चुप क्यों है और कार्रवाई से बच क्यों रहा है?
भ्रष्टाचार की बू
पूरा मामला न केवल भ्रष्टाचार और सरकारी संपत्ति की चोरी का है बल्कि यह भी दर्शाता है कि विभागीय अधिकारी किस तरह शिकायतों को दबाने के लिए लीपापोती कर देते हैं।
एक माह बीत गया… कार्रवाई अब भी शून्य
शहडोल में 11 के.व्ही. लाइन घोटाले को उजागर हुए अब पूरा एक माह बीत चुका है, लेकिन विभाग ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
न तो किसी अधिकारी पर जिम्मेदारी तय हुई,
न ही गायब पोल और ट्रांसफार्मर का हिसाब सामने आया,
और न ही किसी तरह की एफ.आई.आर. दर्ज की गई।
सिर्फ चुप्पी और लीपापोती
विभागीय अधिकारी लगातार चुप हैं। एम.डी. स्तर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। केवल कागजी जांच कर मामला ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की जा रही है।
बड़ा सवाल
क्या यह मामला भी उन दर्जनों मामलों की तरह दबा दिया जाएगा, जिनमें करोड़ों की सरकारी संपत्ति हजम कर ली गई? या इस बार दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी?
हाईलाइट बिंदु
2018 में खड़ी की गई थी 11 के.व्ही. लाइन
2024 तक पोल, ट्रांसफार्मर, तार व इन्सुलेटर गायब
शिकायत के बावजूद एम.डी. मौन
एस.ई. की जांच – बिना एफआईआर और पंचनामा
विभाग में ऐसे 40 मामले और सामने आए