संपादकीय
पड़रिया कांड ने साबित कर दिया कि बिजली विभाग में भ्रष्टाचार कितना गहरा है। किसान से अवैध वसूली, ट्रांसफार्मर चोरी और अवैध लाइन — यह सब किसी छोटे कर्मचारी की मनमानी नहीं, बल्कि अफसर–आउटसोर्स गठजोड़ का खेल था।
डी.ई. डी.के. तिवारी, जे.ई. विकास सिंह, जीतेन्द्र विश्वकर्मा और अखिलेश मिश्रा के नाम दस्तावेज़ों में दर्ज हैं। रकम बैंक खातों से गुज़री है, शपथपत्र और पंचनामा मौजूद हैं। बावजूद इसके, कार्रवाई ठप क्यों है?
अगर लाइनमैन अवधेश कंवर और जे.ई. एस.बी. विश्वकर्मा सच उजागर न करते, तो यह कांड भी दबा दिया जाता। लेकिन अफसोस, सच सामने आने के बाद भी विभागीय अफसरों ने किसान के आवेदन का इस्तेमाल लीपा-पोती के लिए किया और अवैध काम को वैध ठहराने की कोशिश की।
यह सिर्फ किसानों का नहीं, बल्कि जनता के विश्वास का भी अपमान है।
जरूरत है कि इस पूरे मामले की जांच EOW और विजिलेंस को सौंपी जाए और दोषियों को कठोर दंड मिले। तभी यह संदेश जाएगा कि किसान और उपभोक्ता की गाढ़ी कमाई और सरकारी संपत्ति से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।