
मध्यप्रदेश में बेटियाँ आज भी दहेज रूपी दानव की बलि चढ़ रही हैं। विधानसभा में सरकार ने खुद माना है कि दिसंबर 2023 से जून 2025 के बीच 719 महिलाओं की मौतें दहेज से जुड़ी घटनाओं में दर्ज हुईं।
चौंकाने वाले आँकड़े2023 के अंतिम 15 दिनों में ही 21 मौतें 2024 में 459 मौतें 2025 की सिर्फ 6 महीनों में 239 मौतें ये आँकड़े मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विधानसभा में प्रस्तुत किए।
(स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया रिपोर्ट)
बुढ़ार–शहडोल की हकीकत स्थानीय समाजसेवियों का कहना है कि शहडोल और बुढ़ार क्षेत्र भी इस भयावह स्थिति से अछूते नहीं हैं। यहाँ कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें विवाहिता महिलाएँ दहेज के दबाव और प्रताड़ना से टूटकर अपनी जान दे बैठीं।
कई बार पीड़ित परिवार सामाजिक दबाव या पुलिसिया दिक़्क़तों के चलते खुलकर शिकायत नहीं कर पाते। सवाल सरकार और समाज सेक्या बेटियाँ सिर्फ आँकड़ों का हिस्सा बनकर रह जाएँगी?
कड़े कानून होने के बावजूद यह सिलसिला क्यों नहीं थम रहा? गाँव और कस्बों में जागरूकता अभियान और सख़्त कार्रवाई कब होगी?
24 न्यूज़ चैनल की पड़ताल हमारी पड़ताल बताती है कि दहेज प्रथा सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं, बल्कि गाँव–कस्बों में यह और भी खतरनाक रूप में मौजूद है। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार अपनी बेटियों की शादी के लिए कर्ज़ और जमीन तक बेच रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं।
निष्कर्ष दहेज हत्या की यह काली तस्वीर पूरे समाज और व्यवस्था के लिए एक आईना है। सवाल यह है कि क्या हम इस आईने में झाँककर अपनी सोच बदलेंगे, या आने वाले वर्षों में भी यही भयावह आँकड़े दोहराए जाते रहेंगे?
यह रिपोर्ट 24 न्यूज़ चैनल की विशेष पड़ताल है
धर्मेन्द्र द्विवेदी,
एडिटर-इन-चीफ, 24 न्यूज़ चैनल