अनूपपुर/शहडोल।
रामपुर बटुरा माइंस (SECL) से जुड़ा बिजली कनेक्शन अब जिले की सबसे बड़ी बिजली घोटाला स्टोरी बनकर उभरा है।
अनूपपुर जिले की सीमा में एक ही परिसर में दो-दो ट्रांसफार्मर खड़े हैं, और पूरी खदान की सप्लाई लो टेंशन (LT) पर दी जा रही है।
जबकि नियम साफ कहते हैं कि माइनिंग जैसी औद्योगिक इकाई को हाई टेंशन (HT) कनेक्शन लेना चाहिए।
फोटो और सूत्रों का खुलासा –
मौके की तस्वीरें गवाही दे रही हैं कि HT लाइन को ट्रांसफार्मरों पर उतारकर LT सप्लाई दी जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि “इन कनेक्शनों को शहडोल डीई द्वारा स्वीकृत किया गया, जबकि ट्रांसफार्मर अनूपपुर जिले की सीमा में लगे हैं।”
नाम न छापने की शर्त पर इलेक्ट्रिकल विभाग से जुड़े एक व्यक्ति ने भी माना कि – “फिलहाल पूरा ऑपरेशन LT सप्लाई पर ही चल रहा है।”
एसई की आपत्ति भी दबी – सूत्र
सूत्रों ने खुलासा किया कि इस मामले पर तत्कालीन अनूपपुर एसई ने गंभीर आपत्ति दर्ज की थी।
आपत्ति में साफ कहा गया था कि “जब परिसर अनूपपुर जिले में है तो कनेक्शन का अधिकार केवल अनूपपुर डीई को है।”
सूत्रों के अनुसार यह आपत्ति चीफ इंजीनियर (CE) तक भेजी गई थी, लेकिन वहाँ सुनवाई नहीं हुई और फाइल दबा दी गई।
आज वह एसई सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनकी आपत्ति अब भी फाइलों में गवाही दे रही है।
नियमों की धज्जियाँ –
धारा 4.18: एक परिसर = एक कनेक्शन (अपवाद केवल विशेष परिस्थिति)।
धारा 5.2: कोल माइंस में तकनीकी ज़रूरत पर ही मल्टीपल पॉइंट अनुमन्य।
CSERC कोड (क्लॉज़ 4.40): HT उपभोक्ता को केवल “आवश्यक भार” के लिए ही LT कनेक्शन मिल सकता है।
इसके बावजूद, रामपुर बटुरा माइंस को HT की जगह दो LT कनेक्शन देकर नियम-कायदों की जमकर धज्जियाँ उड़ाई गईं।
किसे लाभ और किसे नुकसान?
लाभार्थी: रामपुर बटुरा माइंस (SECL) – क्योंकि HT की जगह LT लेने से बिलिंग और चार्ज कम हुए।
नुकसान: म.प्र. विद्युत वितरण कंपनी और प्रदेश का राजस्व – क्योंकि HT टैरिफ से मिलने वाली बड़ी आय LT बिलिंग में गायब हो गई।
शक की सुई: उन अधिकारियों पर जो ज्यूरिडिक्शन पार करके शहडोल डीई से कनेक्शन दिलवाने और अनूपपुर एसई की आपत्ति CE स्तर पर दबाने में शामिल रहे।
उठते सवाल –
जब पूरा परिसर अनूपपुर जिले में है तो शहडोल डीई ने कनेक्शन क्यों दिया?
क्यों HT की जगह LT सप्लाई देकर नियम तोड़े गए?
क्यों अनूपपुर एसई की आपत्ति को CE स्तर पर दबा दिया गया?
क्या यह सब जानबूझकर SECL को फायदा पहुँचाने और बिजली कंपनी को नुकसान देने के लिए किया गया?
आधिकारिक पक्ष –
इस मामले पर सीई शहडोल से पक्ष जानने के लिए दो बार फोन कॉल किया गया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ।
जैसे ही उनका पक्ष मिलेगा, उसे भी प्रकाशित किया जाएगा।
रामपुर बटुरा माइंस का यह मामला केवल तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि खुलेआम नियम उल्लंघन, अधिकार क्षेत्र का हनन, वरिष्ठ स्तर पर दर्ज आपत्ति को दबाने और SECL को सीधा लाभ पहुँचाने का गंभीर मामला है। यह ऊर्जा उपभोक्ताओं और स्थानीय नागरिकों के हितों से जुड़ा बड़ा सवाल है।



