शहडोल।
जिला अस्पताल, जिसे पूरे ज़िले का सबसे बड़ा और भरोसेमंद अस्पताल माना जाता है, अब अमानवीय व्यवहार और लापरवाही का प्रतीक बन चुका है। गुरुवार को यहां घटी एक घटना ने पूरे जिले को हिलाकर रख दिया।
प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को अस्पताल में भर्ती कराने पर उसके परिवार को उम्मीद थी कि यहां सुरक्षित प्रसव हो जाएगा। लेकिन वार्ड में मौजूद डॉक्टरों और नर्सों ने महिला से न सिर्फ बदसलूकी की, बल्कि गाली-गलौज करते हुए वार्ड से बाहर निकाल दिया। अस्पताल प्रशासन ने “डिलीवरी की सुविधा नहीं है” कहकर पल्ला झाड़ लिया और परिजनों को निजी अस्पताल का रास्ता दिखा दिया।
परिजनों का आरोप है कि यह घटना मौत के मुंह में धकेलने जैसी थी। महिला की जान सिर्फ इसलिए बची क्योंकि परिवार समय पर उसे निजी अस्पताल ले गया।
शिकायत पर मचा हड़कंप
पीड़ित परिवार इस अपमानजनक व्यवहार को सहन नहीं कर पाया और सीधे कलेक्टर के पास गुहार लगाई। साथ ही सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत मिलते ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया।
CMHO ने तुरंत तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी।
समिति को 7 दिन के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या रिपोर्ट आने के बाद सच में कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी कागज़ों में दब जाएगा?
अस्पताल की पुरानी करतूतें
यह पहला मामला नहीं है जब जिला अस्पताल पर सवाल खड़े हुए हों।
आए दिन मरीजों के साथ बदसलूकी की शिकायतें सामने आती रही हैं।
कई बार गंभीर बीमारियों वाले मरीजों को “सुविधा नहीं है” कहकर लौटा दिया जाता है।
कुछ साल पहले भी इलाज में लापरवाही के चलते मौतों के मामले सामने आए थे, लेकिन जिम्मेदारों पर कभी ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
जनता के सवाल
क्या जिला अस्पताल अब इलाज का केंद्र नहीं, बल्कि मौत का अड्डा बन गया है?
गरीब और असहाय मरीजों को गाली देकर भगाना ही क्या अब सरकारी स्वास्थ्य सेवा है?
जांच के बाद दोषी डॉक्टर-नर्स पर सख्त कार्रवाई होगी या फिर यह भी खानापूर्ति बनकर रह जाएगी?
यह घटना सिर्फ एक महिला का दर्द नहीं, बल्कि पूरे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था का आईना है। अब देखना है कि प्रशासन सच्चाई का सामना करता है या फिर हमेशा की तरह इस प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल देता है।



