शहडोल/सोहागपुर।
एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र की ऑफिसर कॉलोनी एक बड़े प्रकरण में फँस गई है। कॉलोनी के क्वार्टर नंबर डी-1 में रेनोवेशन की आड़ लेकर लगभग 40 साल पुराना सरई का पेड़ काट गिराया गया।
सूचना मिलते ही बुढ़ार वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर कमला वर्मा पहुँचे और कार्रवाई करते हुए लकड़ी और आरा मशीन जब्त की। मौके से धनपुरी निवासी अरुण सोनी और उसका सहयोगी पकड़े गए, जिन पर प्रकरण दर्ज कर दिया गया है।
DFO और रेंजर के सख्त बयान –
DFO साउथ ने कहा: “प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया गया है। लकड़ी और आरा मशीन जब्त की गई है। जाँच जारी है।”
रेंजर बुढ़ार बोले: “हर तथ्य की गहराई से जाँच होगी। अभी मजदूरों पर प्रकरण दर्ज किया गया है, लेकिन आगे एसईसीएल अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी और उनके बयान दर्ज होंगे।”
यानी जांच अब सीधे एसईसीएल के अफसरों और जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुँचने वाली है।
कानून की धाराएँ –
भारतीय वन अधिनियम 1927 – धारा 26(1): बिना अनुमति पेड़ काटना अपराध।
म.प्र. वृक्ष संरक्षण अधिनियम 2001 – धारा 4/5: अनुमति के बिना कटाई पर प्रकरण और दंड।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 – धारा 15: 5 साल तक कैद और 1 लाख रुपये जुर्माना।
आईपीसी धारा 379/420/120B: चोरी, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र।
अफसर और GM पर सवाल
क्वार्टर डी-1 किसी श्रीवास्तव नामक अफसर को अलॉट बताया जा रहा है।
एरिया पर्सनल मैनेजर से जब सवाल किया गया, तो उन्होंने नाम बताने से बचते हुए केवल इतना कहा – “हो सकता है… और आपकी जानकारी हमेशा पुख्ता रहती है।”
सवाल यही उठता है कि क्वार्टर अलॉटमेंट क्यों छुपाया जा रहा है?
और अगर अलॉटमेंट उजागर नहीं किया जाता, तो सीधी जिम्मेदारी एरिया महाप्रबंधक (GM) पर बनती है, क्योंकि पूरी कॉलोनी उनकी अभिरक्षा में है। आखिर उनकी जानकारी के बिना पेड़ कैसे काटा गया?
लकड़ी की कीमत का पहलू –
वन विभाग सूत्रों के अनुसार, इतने बड़े सरई पेड़ की लकड़ी की कीमत लाखों रुपये तक आंकी जा सकती है।
और अक्सर यही असली खेल होता है — लकड़ी की कीमत कागज़ों में घटाकर दिखा दी जाती है और असली रकम जेबों में चली जाती है।
आगे की कार्यवाही –
मजदूरों पर प्रकरण दर्ज।
अफसरों और एसईसीएल प्रबंधन से पूछताछ तय।
अलॉटेड अधिकारी और एरिया GM की भूमिका की गहन जांच।
लकड़ी का वास्तविक मूल्यांकन और हर्जाने की वसूली।
यह प्रकरण सिर्फ एक पेड़ की कटाई नहीं, बल्कि उस खेल की परतें खोल रहा है जिसमें हरे पेड़ गिरते हैं, लकड़ी का मूल्य कागज़ों में घट जाता है और रकम जेबों में समा जाती है। अब जनता यही देखना चाहती है कि क्या यह कार्रवाई मजदूरों तक सीमित रहेगी या एसईसीएल के बड़े अफसरों और एरिया GM तक भी पहुँचेगी।
अस्वीकरण –
इस समाचार में वर्णित तथ्य वन विभाग की कार्रवाई, सूत्रों से प्राप्त जानकारी तथा मौके पर उपलब्ध परिस्थितिजन्य प्रमाणों पर आधारित हैं।
यहाँ उल्लिखित अधिकारी/कर्मचारी का उल्लेख केवल संभावित अलॉटमेंट और प्रशासनिक बयानों के आधार पर किया गया है।
किसी व्यक्ति विशेष को प्रत्यक्ष रूप से दोषी ठहराने का उद्देश्य नहीं है।
अंतिम निष्कर्ष प्रशासनिक अथवा न्यायिक जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।



