“शहडोल का करंट घोटाला : CE–SE की मिलीभगत ने गायब कर दिए खंभे, लूटी किसान की जेब”

निचोड़ : “लाइन डेड नहीं, ईमानदारी डेड — SE की कलम और CE की चुप्पी ने सबूतों को दफनाया”

शहडोल।

शहडोल जिले में बिजली विभाग का सबसे बड़ा घोटाला उजागर हो चुका है।

बुढ़ार में खड़ी 11 के.वी. लाइन रहस्यमयी ढंग से गायब हो गई और पड़रिया में किसान की जेब से ₹5.73 लाख वसूले गए।

लेकिन असली घोटाला यह है कि CE और SE दोनों ने इन मामलों को मिलकर दबा दिया।

SE ने झूठी रिपोर्ट बना दी और CE ने चुप्पी साधकर पूरे खेल को संरक्षण दे दिया।

 बुढ़ार प्रकरण : SE की लीपापोती, CE की चुप्पी

2018 में खड़ी 11 के.वी. लाइन 2024 तक रहस्यमयी ढंग से गायब हो गई।

FIR नहीं हुई, जिम्मेदारी तय नहीं की गई।

SE ने रिपोर्ट में लिखा — “लाइन डेड।”

यह जांच नहीं, बल्कि गुनाह की कब्र पर पड़ा झूठा कफन है।

और CE?

उसके पास शिकायतें पहुँचीं, दस्तावेज़ टेबल पर रखे गए, लेकिन उसने वही रटा-रटाया बहाना दोहराया — “इंटरनल मामला।”

 सवाल यही है:

“अगर लाइन डेड थी तो खंभे और ट्रांसफार्मर किस कब्रिस्तान में दफनाए गए? और CE ने यह रिपोर्ट आँख बंद करके क्यों मान ली?”

 पड़रिया प्रकरण : जेब कटी, अफसर मौन

किसान उमेश पटेल से ₹5.73 लाख वसूले गए।

रकम निजी खातों में जमा हुई, बैंक डिटेल उपलब्ध है।

अनुदान वाला ट्रांसफार्मर उठाकर अवैध लाइन में लगा दिया गया।

JE और लाइनमैन ने पंचनामा भी तैयार किया।

SE को सब पता था, लेकिन उसने कार्रवाई नहीं की।

CE के पास भी सबूत पहुँचे, पर उसका जवाब वही घिसा-पिटा — “इंटरनल मामला।”

 सवाल यही है:

“जब चोरी का पंचनामा और बैंक खातों की डिटेल मौजूद हैं, तो CE और SE किसके बचाव में चुप हैं?”

 CE और SE की असली भूमिका

SE ने लीपापोती करके भ्रष्टाचार को ढाल दी।

CE ने चुप्पी साधकर भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया।

सूत्रों का दावा: “CE, SE और DE — तीनों का महीना बंधा है।”

नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार का तार जुड़ा है और CE–SE उसकी रीढ़ बन चुके हैं।

 जनता की सीधी चोट

“SE ने गुनाह को कब्र में दबा दिया।”

“CE ने मौन साधकर उसे संरक्षण दे दिया।”

“अगर ये अफसर ईमानदार होते तो आज FIR और निलंबन हो चुका होता।”

“CE और SE ने सिर्फ़ विभाग नहीं, जनता के विश्वास को भी लूटा है।”

अस्वीकरण :

यह रिपोर्ट उपलब्ध शिकायतों, दस्तावेज़ों, शपथ पत्रों, बैंक खातों के विवरण, विभागीय रिकॉर्ड और सूत्रों की जानकारी पर आधारित है। इसमें उल्लिखित तथ्य केवल जनहित में प्रस्तुत किए गए हैं। यदि किसी अधिकारी/कर्मचारी को इस पर आपत्ति है तो वे अपना पक्ष ‘24 News Channel’ को भेज सकते हैं। चैनल उनके जवाब को भी समान रूप से प्रकाशित करेगा।

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