
शहडोल।
एसईसीएल सोहागपुर एरिया में एक मामला ऐसा है जिस पर शिकायतों की गिनती अब कैलेंडर की तारीख़ों से भी ज़्यादा हो चुकी है।
कोल सचिव, चेयरमैन, CMD, D(T), GM—सबको बार-बार पत्र पहुँचे, लेकिन नतीजा?
वही पुराना “देखेंगे, जाँच करेंगे, कार्रवाई करेंगे” का जाप।
असलियत में कार्रवाई उतनी ही ग़ायब है जितनी गर्मी के दिनों में शहडोल की बिजली!
पद का तमाशा – नियम किताब में, खेल कुर्सी पर
नियम कहते हैं कि सिक्योरिटी का पद सिक्योरिटी वालों का है।
लेकिन यहाँ तो माइनिंग कैडर से अधिकारी उठाकर सुरक्षा का मुखिया बना दिया गया।
यह तैनाती नहीं, बल्कि नियमों की शवयात्रा है। और अफसरों का मौन इस शवयात्रा में बजता हुआ बैंड-बाजा।
शिकायतों का हाल
शिकायतें लिख-लिखकर लोग थक गए।
अब तो फाइलें खुद ताना मार रही हैं –
“हमें भेजकर क्या करोगे, हमारी मंज़िल वही धूलभरी अलमारी है।”
ऊपर से नीचे तक हर टेबल पर सिर्फ कागज़ का ट्रैफिक जाम है—
फाइलें चलती हैं, रुकती हैं, फिर दब जाती हैं… और अफसर कहते हैं, “कार्रवाई जारी है।”
अफसरशाही का नया मन्त्र
यहाँ अफसरों का नया मन्त्र है –
“शिकायत लो, चाय पियो, फाइल घुमाओ और भूल जाओ।”
जनता पूछे तो कह दो “जाँच चल रही है”,
मीडिया सवाल उठाए तो कह दो “मामला विचाराधीन है”,
और हकीकत में मामला सिर्फ कार्रवाई से अधीन है।
कर्मचारियों की चोट
कर्मचारी अब खुलकर तंज कस रहे हैं –
“यहाँ शिकायत का मतलब है – एक नया फाइल नंबर, एक नया बहाना, और वही पुराना Zero।”
लोग पूछते हैं: “जब हर शिकायत का रिजल्ट सिफर ही होना है, तो अफसरों की कुर्सी किस काम की?”
बड़ा सवाल
क्या नियम तोड़कर की गई तैनाती पर कभी कोई सख़्त फैसला होगा?
क्या शिकायतों का पहाड़ अफसरों की नींद तोड़ेगा या धूल में ही दफ़न रहेगा?
और क्या एसईसीएल के अफसरों का “मौन” ही उनकी सबसे बड़ी भाषा बन चुका है?
24 न्यूज़ चैनल यह सवाल बार-बार उठाएगा, जब तक सिफ़र की जगह न्याय न मिल जाए।
अस्वीकरण
“यह समाचार उपलब्ध दस्तावेज़ों, सूचना के अधिकार (RTI) से प्राप्त उत्तरों और प्रस्तुत शिकायतों पर आधारित है। इसमें उल्लिखित बिंदु संबंधित पक्षों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी पर आधारित हैं। जाँच एवं कार्यवाही का अधिकार संबंधित सक्षम एजेंसियों का है। 24 न्यूज़ चैनल केवल जनहित में तथ्यों का संप्रेषण कर रहा है।”