शहडोल।
रात का सन्नाटा…
एक पुरानी सरकारी बिल्डिंग…
धूल से लदी अलमारियाँ, मकड़ी के जाले और टेबल पर पड़ी मोटी फाइलें।
कैमरा धीरे-धीरे ज़ूम करता है उस एक फाइल पर…
वही फाइल जिसमें छुपा है सोहागपुर एरिया की तैनाती का राज़।
पात्रों की एंट्री
“खनन का खिलाड़ी”
(लाइट पड़ती है एक शख्स पर, हेलमेट हाथ में है लेकिन उसकी कुर्सी पर लिखा है – Security Officer)
दर्शक चौंक जाते हैं – “ये तो माइनिंग वाला है! यह सिक्योरिटी की कुर्सी पर कैसे?”
“ऑपरेशन का संरक्षक”
(धीरे-धीरे पर्दे के पीछे से भारी कदमों की आहट। हाथ में पेन, जो सिर्फ़ सिग्नेचर के लिए चलता है।)
उसकी खामोशी ही तैनाती की सबसे बड़ी गवाही है।
“शिकायतों का यात्री”
(हाथ में फाइलें, कंधों पर थकान, होंठों पर हिम्मत। वह लगातार पत्र भेजता है – सचिव, चेयरमैन, CMD, D(T), GM तक।)
लेकिन हर दरवाज़े से गूँजती है वही पंक्ति – “जाँच जारी है।”
“मौन अफसर”
(कुर्सियों पर बैठे अधिकारी, होंठ सिले हुए, आँखें झुकी हुईं। उनके सामने ढेर सारी फाइलें लेकिन पन्ने कभी पलटे ही नहीं।)
यह मौन ही सबसे बड़ा डायलॉग है।
ट्विस्ट – आरटीआई का रहस्योद्घाटन
एक दस्तावेज़ सामने आता है…
आरटीआई का जवाब:
“सिक्योरिटी ऑफिसर पद के लिए किसी योग्यता की आवश्यकता नहीं।”
कैमरा पन्ने पर ज़ूम करता है।
धीरे-धीरे वही पेन दिखाई देता है —
जवाब उसी हाथ से निकला है, जिस पर सवाल खड़े थे।
सस्पेंस और गहराता है…
दूसरा ट्विस्ट – शिकायतों की बाढ़
मॉन्टेज सीन:
डाकिये पत्र पहुँचाते हैं, टेबल पर फाइलें गिरती हैं,
मोहरे बदलते हैं लेकिन डायलॉग वही रहता है –
“देखेंगे, जाँच करेंगे।”
कैमरा फोकस करता है अलमारी की धूलभरी दराज़ पर,
जहाँ सारी शिकायतें सो रही हैं।
तीसरा ट्विस्ट – CBI का दरवाज़ा
सीन बदलता है…
दिल्ली की एक विशाल बिल्डिंग, ऊपर बड़ा बोर्ड – Central Bureau of Investigation।
एक शिकायत पत्र वहाँ भी पहुँच चुका है।
अब सवाल गूंजता है –
क्या यह फाइल वहाँ भी धूल खाएगी?
या पहली बार दरवाज़ा खुलेगा और सच्चाई बाहर आएगी?
क्लाइमेक्स – जनता का सवाल
भीड़ जमा है, कैमरे चमक रहे हैं, माइक उठे हैं।
जनता एक स्वर में चिल्लाती है –
“अगर शिकायत का मतलब सिर्फ़ फाइल नंबर है तो अफसरों की कुर्सियों का क्या मतलब?”
“अगर नियम सिर्फ़ किताबों तक हैं, तो कंपनी क्यों?”
कैमरा धीरे-धीरे ज़ूम आउट करता है…
पीछे वही मोटी फाइल, उस पर पड़ा ताला,
और पास खड़े अफसरों की खामोश परछाइयाँ।
स्क्रीन पर टेक्स्ट उभरता है —
“जाँच जारी है…”
24 न्यूज़ चैनल प्रस्तुत करता है यह गाथा –
क्योंकि यह सिर्फ़ एक तैनाती की कहानी नहीं,
बल्कि उस सिस्टम का आईना है जहाँ शिकायतों का पहाड़ बनता है,
और कार्रवाई हर बार सिफ़र रह जाती है।
अस्वीकरण
“यह समाचार उपलब्ध दस्तावेज़ों, सूचना के अधिकार (RTI) से प्राप्त उत्तरों और प्रस्तुत शिकायतों पर आधारित है। इसमें उल्लिखित बिंदु संबंधित पक्षों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी पर आधारित हैं। जाँच एवं कार्यवाही का अधिकार संबंधित सक्षम एजेंसियों का है। 24 न्यूज़ चैनल केवल जनहित में तथ्यों का संप्रेषण कर रहा है।”



