
शहडोल/बुढ़ार।
बुढ़ार में बड़ा बिजली कांड सामने आया है। पकरिया तिराहा से मंजीत सिंह ढाबा तक खींची गई 11 के.वी. लाइन और ट्रांसफार्मर अचानक रहस्यमय ढंग से गायब हो गए। जबकि यह व्यवस्था उपभोक्ता मंजीत सिंह ने बाकायदा शुल्क अदा कराकर डलवाई थी।
ढाबा बंद होने के बाद विभाग ने गुपचुप तरीके से लाइन और ट्रांसफार्मर डिसमेंटल कर दिए, लेकिन निकली हुई सामग्री और ट्रांसफार्मर का आज तक कोई हिसाब-किताब नहीं है। कोई वर्क ऑर्डर नहीं, कोई स्टोर एंट्री नहीं, कोई रिकवरी रिपोर्ट नहीं।
लाखों रुपये की संपत्ति आखिर कहाँ गई – यह सबसे बड़ा सवाल है।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह मामला सिर्फ़ अनियमितता नहीं बल्कि सीधा भ्रष्टाचार और सार्वजनिक संपत्ति का ग़बन है। इस पूरे खेल में मुख्य अभियंता (CE) और सुपरिटेंडिंग इंजीनियर (SE) की मिलीभगत की चर्चा तेज़ है। वहीं, अधीनस्थ अधिकारी (JE) खुलेआम कहते सुने गए – “सब सेटिंग है, कुछ नहीं होगा।”
6 अगस्त 2025 को इस प्रकरण की शिकायत कंपनी के प्रबंध निदेशक को दी गई थी। लेकिन एम.डी. ने कार्रवाई करने के बजाय शिकायत को सिर्फ़ सी.ई. को फॉरवर्ड कर दिया। आज तक न तो कोई स्टेटस रिपोर्ट सामने आई और न ही जाँच में पारदर्शिता।
धर्मेन्द्र द्विवेदी, प्रधान संपादक – 24 न्यूज़ चैनल, का कहना है –“यह सिर्फ़ उपभोक्ता से धोखा नहीं है, बल्कि पूरा बिजली विभाग का घोटाला है। लाखों की संपत्ति गायब हो गई और अफसर चुप बैठे हैं। यह आपराधिक षड्यंत्र है। यदि 30 दिनों में निष्पक्ष जाँच नहीं हुई तो यह मामला लोकायुक्त, EOW, मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री और न्यायालय तक पहुँचेगा।”
झनझनाते सवाल : “कहाँ गई लाइन और ट्रांसफार्मर?”
डिसमेंटल का आदेश किसने दिया?
निकली हुई सामग्री किसके पास गई?
स्टोर रजिस्टर और रिकॉर्ड खाली क्यों हैं?
CE और SE की भूमिका संदिग्ध क्यों है?