
शहडोल। एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखकर की गई नियुक्ति ने कोल इंडिया की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। खनन विभाग के ई-4 श्रेणी के उप प्रबंधक (माइनिंग) अमित सिंह को एरिया सिक्योरिटी ऑफिसर (प्रभारी) बना दिया गया है, जबकि नियम स्पष्ट कहते हैं कि माइनिंग इंजीनियर को केवल खनन कार्यों के लिए नियुक्त किया जाता है।
सूत्रों से खुलासा
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सिक्योरिटी विभाग के लिए उपलब्ध कराए गए गश्ती वाहनों का उपयोग संबंधित अधिकारी द्वारा अपने निजी आवागमन में किया जा रहा है। यहां तक कि परिवारजन भी इन वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल कंपनी संसाधनों के दुरुपयोग को दर्शाती है, बल्कि केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के प्रावधानों का उल्लंघन भी है।
CMD तक पहुँची शिकायत
इस पूरे प्रकरण को लेकर 24 न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक धर्मेन्द्र द्विवेदी ने एसईसीएल के CMD को नोटिस / शिकायत पत्र भेजा है। पत्र में मांग की गई है कि अमित सिंह की नियम विरुद्ध नियुक्ति तत्काल निरस्त की जाए, गश्ती वाहनों के निजी उपयोग की जाँच की जाए और भविष्य में खनन अधिकारियों को उनके मूल कार्यक्षेत्र से बाहर नियुक्त करने पर रोक लगाई जाए।
योग्यता पर बड़ा सवाल
स्थानीय जानकारों और कर्मचारियों का कहना है कि खनन अभियंता की योग्यता सिर्फ खनन कार्यों के लिए होती है। अगर बिना योग्यता किसी अधिकारी को सुरक्षा प्रभारी बनाया जा सकता है, तो क्या कल को उसे वित्त, कार्मिक या चिकित्सा विभाग का भी प्रभारी बना दिया जाएगा? क्या एसईसीएल में नियम अब केवल चंद अधिकारियों की सुविधानुसार लागू किए जाएंगे?
सात दिन की चेतावनी
पत्र में यह भी उल्लेख है कि यदि 7 दिन के भीतर ठोस कार्यवाही नहीं होती है तो यह मामला केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC), CBI और कोयला मंत्रालय तक पहुँचाया जाएगा और 24 न्यूज़ चैनल इसे राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करेगा।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने भी इस प्रकरण पर कड़ी नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि कंपनी के वाहन जनता के संसाधन हैं और इन्हें निजी इस्तेमाल के लिए देना सीधा-सीधा भ्रष्टाचार है। जनता की मांग है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जाँच हो और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
बड़ा सवाल
क्या एसईसीएल में नियम केवल चुनिंदा अधिकारियों के लिए हैं?
क्या जनता के पैसों से खरीदे गए वाहन निजी सैर-सपाटे के लिए हैं?
और सबसे अहम सवाल – क्या बिना योग्यता के किसी को मनचाहा पद देना अब एसईसीएल की नई कार्यप्रणाली है?