
संपादकीय – धर्मेन्द्र द्विवेदी– सोहागपुर क्षेत्र से आई एक तस्वीर ने पूरे सिस्टम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। इस तस्वीर में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों को एक कंपनी अधिकारी के सामने सलामी देते हुए दिखाया गया है। सवाल यह है कि क्या किसी साधारण कर्मचारी को सुरक्षा बलों की इस तरह की औपचारिक सलामी का हक़ है?
नियमों की अनदेखी
CISF अधिनियम और गृह मंत्रालय के प्रोटोकॉल साफ़ कहते हैं कि सलामी केवल उच्चाधिकारी या प्रतिष्ठान के अधिकृत Head of Installation (जैसे GM या CMD) को ही दी जा सकती है। फिर एक डिप्टी मैनेजर (माइनिंग)/एरिया सिक्योरिटी ऑफिसर किस अधिकार से जवानों से सलामी लेता है? यह घटना न केवल नियमों का खुला उल्लंघन है बल्कि सुरक्षा बलों के गरिमामय अनुशासन के साथ खिलवाड़ भी है।
खतरे का संकेत
यदि सुरक्षा बलों का इस्तेमाल इस तरह निजी रसूख दिखाने के लिए होने लगे तो यह खतरनाक परंपरा साबित होगी। जवानों की सलामी किसी पद की गरिमा और राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक है। लेकिन यदि इसे व्यक्तिगत शोहरत या दबदबा दिखाने का माध्यम बनाया जाएगा तो यह जवानों की बलिदान भावना और उनकी ड्यूटी का अपमान है।
जनता की नज़र से
सोहागपुर क्षेत्र के लोग इस घटना को लेकर आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि यह “सुरक्षा बलों की गरिमा का अपमान” है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जनता का यह सवाल वाजिब है कि क्या SECL प्रबंधन इस पूरे खेल से अनजान था या फिर उसकी मौन स्वीकृति इसमें शामिल है?
कार्रवाई क्यों ज़रूरी?
क्या जवानों को दबाव में लाकर सलामी दिलाई गई?
क्या SECL प्रबंधन ने प्रोटोकॉल का दुरुपयोग किया?
क्या गृह मंत्रालय इस घटना की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेगा?
इन सवालों का जवाब देना न सिर्फ़ CISF मुख्यालय और SECL CMD की ज़िम्मेदारी है, बल्कि यह पूरे सुरक्षा तंत्र की गरिमा का सवाल है।
24 न्यूज़ चैनल यह मांग करता है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर कड़ी रोक लगे।