एक था अनिल कुशवाहा… जो दूसरों के लिए अंधेरे में उतरा, और वहीं अंधेरे में गुम हो गया


अमलाई (शहडोल) / विशेष रिपोर्ट – धर्मेन्द्र द्विवेदी, एडिटर-इन-चीफ, 24 News Channel

वह डोज़र ऑपरेटर था।
न कोई अफसर, न कोई ठेकेदार।
लेकिन उसका पसीना, उसकी मेहनत और उसकी जान – इसी धरती के नीचे दफन हो गई।
नाम था — अनिल कुशवाहा।
हर सुबह खदान की तरफ बढ़ते हुए वह सोचता था,
आज भी कुछ टन कोयला निकाल लेंगे,
देश की रोशनी में उसका भी हिस्सा होगा।
पर उस दिन मिट्टी खिसक गई,
और साथ ही पूरी व्यवस्था की पोल खुल गई।


यह हादसा नहीं, यह व्यवस्था का अपराध है

शनिवार की शाम अमलाई ओपनकास्ट माइंस में जब मिट्टी धंसी,
तो सिर्फ एक डोज़र नहीं, पूरी “सिस्टम की जवाबदेही” भी उस गहराई में धंस गई।
खदान में जलभराव था, सुरक्षा इंतज़ाम नहीं थे,
मशीनें लगातार चल रही थीं,
और एसईसीएल प्रबंधन की निगरानी केवल “कागज़ों” तक सीमित थी।

आर.के.टी.सी. कंपनी, जिसने यहाँ 4 अरब रुपये का ठेका लिया है,
ने सुरक्षा नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए मशीनों को उस जगह चलाया,
जहाँ मिट्टी खुद अपनी मौत की प्रतीक्षा में थी।


प्रबंधन ने आँखें मूंदी — मजदूर की ज़िंदगी सस्ती पड़ गई

यह खदान एसईसीएल उप क्षेत्रीय प्रबंधन की सीधी निगरानी में चल रही थी।
हर ठेकेदार का कार्य स्थल निरीक्षण और स्वीकृति से होता है,
लेकिन यहाँ ना सुरक्षा अधिकारी पहुँचे, ना निरीक्षण रिपोर्ट तैयार हुई।
जब मिट्टी धंसी, तब अचानक हर अधिकारी मौन हो गया।

“काम रुकेगा नहीं,”
— यही आदेश था,
और उसी आदेश में दफन हो गया एक मेहनतकश इंसान।

यह हादसा नहीं,
एक आदेश की कीमत पर चुकाई गई जान है।


मिट्टी के नीचे सिर्फ मशीन नहीं, एक पूरी सच्चाई दबी है

घटना के बाद SDRF टीम ने खोज शुरू की,
पुलिस पहुँची, अधिकारी आए —
पर जब तक “प्रक्रिया” शुरू हुई,
वह गहराई एक शांत कब्र बन चुकी थी।
स्थानीय मजदूरों ने कहा —

“अगर ठेकेदार ने काम रोका होता, अगर प्रबंधन ने आदेश दिया होता,
तो आज किसी का घर नहीं उजड़ता।”


यह पहली बार नहीं — अमलाई OCM अब मौत का दूसरा नाम बन चुका है

एक साल पहले भी इसी खदान में मशीन और कर्मचारी लापता हुए थे।
आज तक कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई।
हर बार “सुरक्षा समिति” बैठती है,
हर बार “जांच” होती है,
और फिर सब फाइलों में गुम हो जाता है।

“मिट्टी के नीचे सिर्फ मजदूर नहीं,
पूरे सिस्टम की शर्म दबी पड़ी है।”
— एक वरिष्ठ कर्मचारी की आंखें भीग गईं।


4 अरब रुपये का ठेका, लेकिन एक हेलमेट तक की गारंटी नहीं

आर.के.टी.सी. कंपनी को करोड़ों का ठेका मिला,
लेकिन मजदूरों की सुरक्षा पर खर्च नहीं हुआ।
ना मॉनिटरिंग कैमरे, ना सेफ्टी सायरन,
ना साइट सुपरविजन —
सिर्फ उत्पादन का दबाव और आंकड़ों का खेल।

और इस सब पर निगरानी करने वाले अधिकारी
अब “मीटिंग” और “रिपोर्ट” में व्यस्त हैं।
यह वही तंत्र है जहाँ “सिस्टम बचता है, इंसान नहीं।”


किसी दिन यह खदान इतिहास नहीं, मिसाल बनेगी — अगर हम चुप न रहे

24 News Channel यह सवाल उठाता है:
क्या एसईसीएल उप क्षेत्रीय प्रबंधन इस मौत की जिम्मेदारी लेगा?
क्या ठेकेदार कंपनी के विरुद्ध आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज होगा?
क्या खदान सुरक्षा के नाम पर हर वर्ष करोड़ों का बजट सिर्फ दिखावा है?
क्या हर मजदूर की जान उत्पादन के लक्ष्य से सस्ती हो चुकी है?


24 News Channel की स्पष्ट मांग:

“इस हादसे की जांच DGMS द्वारा की जाए।
एसईसीएल उप क्षेत्रीय प्रबंधन और ठेकेदार कंपनी दोनों को जांच के दायरे में लाया जाए।
खदान सुरक्षा रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और जिम्मेदारों पर आपराधिक कार्रवाई की जाए।”

“अब वक्त आ गया है — जब कोई मजदूर मिट्टी में दबे,
तो सिर्फ जांच न बैठे, जवाबदेही तय हो।”


डिस्क्लेमर (Disclaimer):
यह रिपोर्ट स्थानीय सूत्रों, मजदूरों और प्रत्यक्षदर्शियों से प्राप्त तथ्यों पर आधारित है।
इसका उद्देश्य खदानों में सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही को उजागर करना है।
किसी व्यक्ति विशेष की मानहानि करना इस रिपोर्ट का उद्देश्य नहीं है।


जनहित में – 24 News Channel
“एक था अनिल कुशवाहा —
जो चला गया, पर उसकी मौत ने इस सिस्टम की नींव हिला दी है।
अब अगर जवाबदेही नहीं तय हुई,
तो हर खदान एक और अनिल की प्रतीक्षा करेगी।”

  • Related Posts

    “गौमाता राष्ट्रमाता” — शहडोल में गूंजा गो-स्वाभिमान आंदोलन का बिगुल!

    धर्मेन्द्र द्विवेदी, एडिटर-इन-चीफ – 24 News Channel (शहडोल) अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान ने मुख्यमंत्री के नाम 8 सूत्रीय माँगपत्र सौंपा, सड़कों पर उमड़ी आस्था की लहर! शहडोल, 29 अक्टूबर 2025।विंध्यभूमि…

    अमलाई माइन — 5:25 की वो शाम: जब मिट्टी नहीं, जवाबदेही मरी

    धर्मेन्द्र द्विवेदी | एडिटर-इन-चीफ, 24 News Channelविशेष रिपोर्ट — अमलाई (शहडोल) श्री रमन्ना, जवाब दो — तुम कहाँ थे जब एक आदमी दफन हो रहा था? स्थल के प्रशासनिक प्रभारी…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *