पत्र नहीं भेजा फिर भी अदालत पहुँचा अधिकारी – अब खुद की जांच खुद कर रहा है!

शहडोल / धनपुरी।
दक्षिण पूर्वी कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) धनपुरी क्षेत्र में सच को उजागर करना अब अधिकारियों को रास नहीं आ रहा। पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग उठाने वाले पत्रकारों को अब अदालतों में घसीटकर सच्चाई दबाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं।

24 न्यूज़ चैनल द्वारा दिनांक 24/07/2025 को महाप्रबंधक को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें सुरक्षा विभाग में पदस्थ एक अधिकारी की “कार्यप्रणाली को संदेहास्पद” बताया गया था। यह पत्र न तो संबंधित अधिकारी अमित सिंह (डिप्टी मैनेजर, माइनिंग) को संबोधित था और न ही उन्हें भेजा गया। फिर भी सच्चाई से घबराकर अब वही अधिकारी पत्रकार के खिलाफ सिविल न्यायालय बुढ़ार में मानहानि का परिवाद दर्ज कराने की तैयारी में जुट गया है।


पत्र भेजा ही नहीं गया, फिर पहुँचा कहाँ से?

सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब पत्र महाप्रबंधक को भेजा गया था, तो अमित सिंह को वह पत्र मिला कैसे?
क्या विभाग ने खुद ही शिकायत की प्रति आरोपी अधिकारी को सौंप दी?
अगर हाँ, तो क्या अब वही व्यक्ति अपनी शिकायत की जांच खुद करेगा?
कानून का सिद्धांत स्पष्ट है — कोई भी व्यक्ति अपने ही मामले में न्यायाधीश नहीं बन सकता।
इससे स्पष्ट है कि विभागीय प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में है।


खुद की जांच खुद, गवाह भी अपने ही कर्मचारी!

सिर्फ इतना ही नहीं, अमित सिंह ने अदालत में अपने ही अधीनस्थ कर्मचारियों को गवाह बनाकर पेश किया है। यह स्थिति न्याय और निष्पक्षता दोनों पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े करती है।


अनुमति ली या नहीं? बड़ा सवाल

अगर यह मामला व्यक्तिगत है, तो क्या अमित सिंह ने विभाग से अदालत जाने के लिए पूर्व अनुमति (Prior Permission) ली है?
यदि नहीं, तो यह कार्यवाही न केवल Coal India Conduct Rules का उल्लंघन है बल्कि कानूनी रूप से भी अस्वीकार्य है।
बिना अनुमति अदालत जाना अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है और ऐसे मामलों को अदालत अक्सर प्रारंभिक स्तर पर ही निरस्त कर देती है।


अब जनता के सवाल

जब पत्र भेजा ही नहीं गया तो मानहानि कैसे?

विभाग ने शिकायत की प्रति आरोपी को क्यों और कैसे दी?

क्या आरोपी खुद अपनी जांच करेगा?

क्या बिना विभागीय अनुमति अदालत जाना नियमों का उल्लंघन नहीं है?

चैनल का कहना है कि सभी दस्तावेज़, आरटीआई जवाब और शो-कॉज़ नोटिस प्रमाण के साथ उपलब्ध हैं और ज़रूरत पड़ने पर इन्हें न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।


यह मामला अब केवल एक पत्रकार का नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जवाबदेही और निष्पक्ष जांच के अधिकार से जुड़ा है। अगर सच्चाई को दबाने की कोशिशें जारी रहीं, तो आने वाले दिनों में और भी गंभीर खुलासे सामने आएंगे।

रिपोर्ट: धर्मेन्द्र द्विवेदी
एडिटर-इन-चीफ, 24 न्यूज़ चैनल

अस्वीकरण –

यह रिपोर्ट उपलब्ध दस्तावेज़ों, आरटीआई जवाबों, विभागीय पत्राचार और प्रमाणित साक्ष्यों के आधार पर तैयार की गई है। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाना या किसी के निजी जीवन में हस्तक्षेप करना नहीं है, बल्कि जनहित में पारदर्शिता, जवाबदेही और तथ्य प्रस्तुत करना है। यदि किसी पक्ष को इस रिपोर्ट से आपत्ति है, तो वह अपने प्रमाणों के साथ अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकता है।

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