सोहागपुर हाउस का सच – सम्मान की ओट में अफसरशाही की नंगाईयाँ

E4 अधिकारी को सिक्योरिटी ऑफिसर का प्रभार, गाड़ियां निजी उपयोग में – सुरक्षा कर्मचारी की गरिमा तार-तार

धनपुरी/शहडोल।

20 सितंबर को सोहागपुर हाउस में आयोजित “सम्मान समारोह” अब विवादों के घेरे में है। खैरहा खदान के पूर्व खान प्रबंधक और सेफ्टी ऑफिसर का सम्मान तो बस बहाना था, असली तस्वीरों ने वह चेहरा दिखा दिया जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी।

सुरक्षा कर्मचारी से वेटर का काम –

कार्यक्रम की तस्वीरों में साफ दिखा कि सुरक्षा विभाग का कर्मचारी, जिसकी ड्यूटी खदान और कंपनी संपत्ति की सुरक्षा करना है, ट्रे उठाकर मेहमाननवाज़ी करता दिखा।

यह केवल उसकी ड्यूटी का उल्लंघन ही नहीं बल्कि उसकी व्यावसायिक गरिमा का खुला अपमान है।

कर्मचारियों का कहना है –

“जिस कर्मचारी को सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था, उसे दरबारी सेवा में झोंक दिया गया। यह सुरक्षा विभाग की छवि पर धब्बा है।”

नियमों का उल्लंघन –

Coal India Conduct Rules, 1978 (Rule 4(1), 4(3)): कोई भी अधिकारी/कर्मचारी कंपनी की छवि धूमिल करने वाला काम नहीं कर सकता।

SECL Service Rules: सुरक्षा कर्मचारी केवल आधिकारिक कार्यों में तैनात हो सकते हैं। निजी कार्यक्रमों में लगाना “कदाचार” है।

Standing Orders Act: कर्मचारी को उसकी ड्यूटी से हटाकर अपमानजनक कार्य कराना गैर-कानूनी है।

 यह आयोजन सिर्फ़ एक समारोह नहीं, बल्कि नियमों और कर्मचारियों के अधिकारों की धज्जियाँ है।

गाड़ियों का निजी उपयोग –

सूत्रों के मुताबिक –

जिस अधिकारी को सिक्योरिटी ऑफिसर का प्रभार दिया गया है, वह E4 ग्रेड का अधिकारी है।

नियमों के अनुसार E4 ग्रेड को निजी इस्तेमाल के लिए कंपनी वाहन की सीधी पात्रता नहीं होती।

फिर भी उसके पास गश्त के नाम पर दो गाड़ियां अलॉट हैं, जिनमें से एक गाड़ी लगातार निजी कामों में इस्तेमाल की जा रही है।

कर्मचारियों का कहना है –

“गाड़ियां सुरक्षा गश्त के लिए दी जाती हैं, लेकिन अफसरों के घर-परिवार की सेवा में दौड़ रही हैं।”

उठते सवाल –

क्या सुरक्षा कर्मचारियों से ट्रे उठवाना उनकी गरिमा का अपमान नहीं है?

क्या गश्त की गाड़ियां अफसरों के व्यक्तिगत उपयोग के लिए हैं?

क्या E4 ग्रेड का अधिकारी नियमों को ताक पर रखकर यह सब कर सकता है?

क्या प्रबंधन सब कुछ जानते हुए भी चुप है?

 निष्कर्ष –

सोहागपुर हाउस का यह आयोजन अब सिर्फ “सम्मान समारोह” नहीं, बल्कि अधिकारियों की दरबारी संस्कृति, गाड़ियों के दुरुपयोग और सुरक्षा कर्मचारियों की मानहानि का आईना बन चुका है।

 एक ओर सुरक्षा कर्मचारी ट्रे उठाने को मजबूर किए गए, दूसरी ओर अधिकारी गाड़ियों का निजी सुख भोगते रहे।

 नियम किताबों में धूल फांकते रहे, और अफसरशाही की नंगाईयाँ खुले मंच पर तांडव करती रहीं।

अब बॉल SECL प्रबंधन के पाले में है—क्या यह कार्रवाई करेगा या इन नंगाईयों को भी फाइलों में दबा देगा?

 अस्वीकरण –

यह रिपोर्ट उपलब्ध तस्वीरों, सूत्रों और कर्मचारियों के बीच हुई चर्चाओं पर आधारित है। इसमें उल्लिखित अधिकारी/कर्मचारी का नाम नहीं दिया गया है। समाचार का उद्देश्य केवल तथ्यों को उजागर करना है, न कि किसी व्यक्ति विशेष की मानहानि करना। संबंधित प्रबंधन/अधिकारी का पक्ष प्राप्त होने पर उसे भी प्रकाशित किया जाएगा।

  • Related Posts

    “गौमाता राष्ट्रमाता” — शहडोल में गूंजा गो-स्वाभिमान आंदोलन का बिगुल!

    धर्मेन्द्र द्विवेदी, एडिटर-इन-चीफ – 24 News Channel (शहडोल) अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान ने मुख्यमंत्री के नाम 8 सूत्रीय माँगपत्र सौंपा, सड़कों पर उमड़ी आस्था की लहर! शहडोल, 29 अक्टूबर 2025।विंध्यभूमि…

    अमलाई माइन — 5:25 की वो शाम: जब मिट्टी नहीं, जवाबदेही मरी

    धर्मेन्द्र द्विवेदी | एडिटर-इन-चीफ, 24 News Channelविशेष रिपोर्ट — अमलाई (शहडोल) श्री रमन्ना, जवाब दो — तुम कहाँ थे जब एक आदमी दफन हो रहा था? स्थल के प्रशासनिक प्रभारी…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *