जयसिंहनगर अस्पताल: जहाँ डॉक्टर बचाने आए थे जान, खुद बचा रहे हैं अपनी जान!

शहडोल।

जयसिंहनगर का सिविल अस्पताल अब बीमारों के इलाज का नहीं, बल्कि डॉक्टरों की धुनाई और गाली-गलौज का नया अड्डा बन चुका है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि डॉक्टर मरीज की नब्ज़ देखने से पहले अपनी किस्मत की नब्ज़ टटोलने लगे हैं – आज बचेंगे या पिटेंगे?

इलाज नहीं, इज़्ज़त पर हमला

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आनंद प्रकाश सिंह ने कड़वे शब्दों में जो हकीकत उजागर की है, वह चौंकाने वाली है।ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और स्टाफ को रोज़ाना गाली-गलौज, धमकी और मारपीट का तोहफ़ा मिल रहा है। यानी यहाँ इलाज से पहले डॉक्टर की गरिमा की चीरफाड़ मुफ्त में मिलती है।

पुलिस: रिपोर्ट से पहले ही “बीमार”

सबसे बड़ा तमाशा यह है कि जब डॉक्टर शिकायत लेकर पुलिस के पास जाते हैं, तो थाना भी ICU मोड में चला जाता है। रिपोर्ट दर्ज करने से पहले ही पुलिस अपनी जिम्मेदारी से “डिस्चार्ज” ले लेती है। सवाल ये है कि अगर पुलिस ही बीमार है तो डॉक्टरों को बचाएगा कौन?

कानून किताबों में, गुंडे वार्डों में

मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धाराएँ सिर्फ फाइलों में धूल खा रही हैं।असल में वार्डों में धाराएँ नहीं, गुंडों की दहाड़ सुनाई देती है। डॉक्टर सुरक्षा की मांग करें तो जवाब मिलता है – “अपनी किस्मत पर भरोसा रखो।”

डॉक्टरों की तीन खुराक वाली प्रिस्क्रिप्शन

1. अस्पताल में स्थायी सुरक्षा बल की तैनाती हो।

2. डॉक्टरों पर हाथ उठाने वालों की गारंटी जेल हो।

3. अस्पताल में इलाज मरीजों का हो, डर का नहीं।

जनता के लिए बड़ा सवाल

अगर डॉक्टर ही सुरक्षित नहीं हैं तो मरीजों की जान कौन बचाएगा? या फिर सरकार चाहती है कि डॉक्टर पहले अपने बचाव की “ओपीडी” करें और बाद में मरीज देखें?

जयसिंहनगर अस्पताल अब “हेल्थ सेंटर” नहीं बल्कि “हेल्थ हज़ार्ड सेंटर” बन गया है।अगर प्रशासन ने आँखें न खोलीं तो यहाँ इलाज नहीं, डॉक्टरों का पलायन और मरीजों की मौत का नया रिकॉर्ड बनेगा।

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