आज चंद्रग्रहण: धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक रहस्य ग्रहण काल में जप और दान का विशेष महत्व, वैज्ञानिकों ने बताया प्राकृतिक घटना

शहडोल – आज रात आकाश में घटने वाली खगोलीय घटना चंद्रग्रहण को लेकर आमजन में उत्सुकता और श्रद्धा दोनों का माहौल है। हिंदू धर्मग्रंथों में इसे राहु-केतु की छाया से जोड़कर देखा जाता है, जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से यह पृथ्वी की छाया का अद्भुत दृश्य है।

धार्मिक मान्यता

पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय राहु ने अमृत पी लिया था। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। तब से राहु और केतु सूर्य व चंद्रमा को ग्रसते हैं। यही स्थिति जब खगोलीय रूप में घटती है तो उसे ग्रहण कहते हैं।

ग्रहण काल में पूजा-पाठ, मंत्रजप और ध्यान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इसी समय दान-पुण्य करने से सौ गुना अधिक फल मिलता है।

आचरण और सावधानियाँ

धार्मिक परंपराओं के अनुसार –

ग्रहण लगने से पूर्व स्नान और भगवान का स्मरण करें।

ग्रहण के समय भोजन, जल ग्रहण और अन्य सांसारिक कार्य वर्जित हैं।

गर्भवती महिलाओं को इस दौरान विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है।

ग्रहण समाप्ति के बाद पुनः स्नान कर गंगाजल का छिड़काव करना शुभ माना जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

खगोल विज्ञान के अनुसार, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और चंद्रग्रहण घटित होता है। यह घटना पूरी तरह प्राकृतिक है, जिसका धार्मिक या अशुभ घटनाओं से कोई संबंध नहीं है।

संदेश

चंद्रग्रहण हमें यह सिखाता है कि अंधकार चाहे जितना गहरा क्यों न हो, प्रकाश का आगमन निश्चित है। यही जीवन का शाश्वत सत्य भी है।

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