
स्थान: शहडोल/बुढ़ार –
शहडोल जिले के केशवाही–बुढ़ार क्षेत्र में बिजली विभाग का बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। शिकायत और दस्तावेज़ों के अनुसार, तत्कालीन डीई और जेई ने आउटसोर्स कर्मी के साथ मिलकर किसान से ₹5.73 लाख की अवैध वसूली की। यह रकम विभागीय खाते में जमा नहीं की गई बल्कि निजी खातों और नकद के माध्यम से ली गई।
पैसों का लेन-देन (खातों व नकद भुगतान का ब्योरा)
तरुण पटेल (उमेश पटेल का रिश्तेदार) के खाते से –
₹1,00,000 (29/05/22)
₹1,00,000 (30/05/22)
भारतीय स्टेट बैंक, कोटा (राजस्थान), खाता संख्या 20034111191 –
₹1,00,000 (05/06/22)
₹43,000 (01/07/22)
एक्सिस बैंक, बुढ़ार – विभागीय ऑपरेटर के नाम, खाता संख्या 920010038129788 –
कुल ₹4,00,000 (अलग-अलग किश्तों में, बयान दिनांक 29/11/22 अनुसार प्राप्त और ट्रांसफर स्वीकार)।
नकद भुगतान – ₹90,000 और ₹40,000 (02/07/22) सीधे आउटसोर्स कर्मी को।
कुल वसूली : लगभग ₹5,73,000, जिसकी कोई विभागीय रसीद जारी नहीं हुई।
घटनाक्रम (तारीख़-वार) –
मई–जुलाई 2022 – किसान से ली गई रकम से खेत में 15 पोल, 1 डीपी ट्रांसफार्मर और 1 एलटी पोल (कुल 18 पोल) लगाकर अवैध 11 केवी लाइन खड़ी की गई।
इसी दौरान पड़रिया तिराहे पर किसान जवाहर गुप्ता का कृषि अनुदान वाला 25 KVA ट्रांसफार्मर निकालकर चोरी-छिपे उमेश पटेल की डीपी में लगा दिया गया।
03/09/22 – विभागीय लाइनमैन ने मौके पर अवैध लाइन पकड़कर पंचनामा तैयार किया।
09/11/22 – जेई ने औचक निरीक्षण कर डिजिटल पंचनामा (SDL20221109163311357) बनाया, अवैध लाइन व ट्रांसफार्मर दर्ज किए और किसान पर ₹29,513 का जुर्माना लगाया (पुस्तिका क्रमांक 7048, पृष्ठ 09)।
18/11/22 – किसान ने शपथपत्र देकर रकम और खातों का विवरण दर्ज किया।
21/11/22 – किसान ने AE/JE बुढ़ार व EE शहडोल को आवेदन दिया (आवक क्रमांक 71/21/11/22 व 240/21/11/22)।
01/12/22 – कार्यपालन अभियंता शहडोल ने पत्र क्रमांक 2356 (गोपनीय) जेई को व्यक्तिगत नाम से भेजा।
इसके बाद – तत्कालीन डीई ने इसी पत्र का हवाला देकर जेई पर दबाव बनाया और पहले से पूरे किए गए अवैध काम का नया स्टीमेट तैयार करवाया, ताकि ग़लत काम को कागज़ों में वैध ठहराया जा सके।
मुख्य बिंदु / मुख्य आरोप –
किसान से लगभग ₹5.73 लाख की अवैध वसूली, राशि निजी खातों और नकद में।
किसान जवाहर गुप्ता का कृषि अनुदान वाला 25 KVA ट्रांसफार्मर चोरी कर उमेश पटेल की डीपी में लगाया गया।
बिना किसी स्टीमेट, स्वीकृति और विभागीय रसीद के अवैध 11 केवी लाइन (18 पोल, 1 डीपी ट्रांसफार्मर, 1 एलटी पोल) खड़ी की गई।
रकम के भुगतान का ब्योरा बैंक खातों और नकद दोनों रूपों में मौजूद है।
डिजिटल पंचनामा, जुर्माना आदेश, शपथ पत्र, आवेदन और गोपनीय पत्र – सभी दस्तावेज़ घोटाले की पुष्टि करते हैं।
गड़बड़ी पकड़ने के बावजूद, तत्कालीन डीई ने जेई पर दबाव बनाकर उसी काम का नया स्टीमेट तैयार कराया, ताकि अवैध काम को वैध ठहराया जा सके।
यह पूरा प्रकरण विद्युत अधिनियम 2003, IPC की कई धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का उल्लंघन है।
कानूनी उल्लंघन –
विद्युत अधिनियम 2003 – धारा 135, 150, 126
आईपीसी (IPC) – धारा 409, 420, 468, 471, 120-B
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act)
प्रभाव –
यह प्रकरण सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी नहीं बल्कि सीधा भ्रष्टाचार और विभागीय संपत्ति की चोरी है। दस्तावेज़, शपथपत्र, बैंक लेन-देन और जुर्माना आदेश सब बताते हैं कि किसान से वसूली हुई, रकम निजी खातों में पहुँची और विभागीय संपत्ति का दुरुपयोग हुआ।
निष्कर्ष –
पड़रिया कांड से यह साफ है कि बिजली विभाग में मिलीभगत, लीपा-पोती और भ्रष्टाचार गहराई तक फैला है। जब सबूत मौजूद हैं, रकम के बैंक ट्रांज़ैक्शन तक सामने आ चुके हैं, तब भी कार्रवाई न होना विभागीय तंत्र पर सबसे बड़ा सवाल है। अब ज़रूरत है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो और किसानों को न्याय मिले।