
शहडोल।
जिले में पंचायतों के भ्रष्टाचार की परतें खुलती ही जा रही हैं। ताज़ा मामला ग्राम पंचायत भटिया का है, जहाँ ढाई हज़ार ईंटों का बिल सीधे ₹1,25,000 पास कर दिया गया। सवाल यह है कि क्या ईंटें सोने-चाँदी की थीं या फिर प्रशासन की आँखों पर भ्रष्टाचार की पट्टी बंध चुकी है?
खुलेआम लूट की पटकथा
स्थानीय बाज़ार में ईंट की कीमत 4 से 10 रुपये प्रति नग है। इस हिसाब से 2500 ईंटों की कीमत 12 से 25 हज़ार रुपये से ज़्यादा नहीं हो सकती। लेकिन पंचायत सचिव और सरपंच ने इसे 50 रुपये प्रति ईंट दिखाकर पूरा खेल कर दिया। कागज़ी कारनामे इतने बेशर्म ढंग से किए गए कि बिल और भुगतान की पर्ची सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पंचायत तंत्र की पोल खुल गई।
जनता के पैसों से खिलवाड़
ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना पहली नहीं है। गाँव-गाँव में विकास कार्यों के नाम पर फर्जी बिल बनते हैं और जनता की गाढ़ी कमाई अफ़सरों और ठेकेदारों की जेब में चली जाती है। सवाल यह है कि जब ईंट जैसी सामान्य चीज़ में इतना बड़ा घोटाला हो सकता है, तो करोड़ों की योजनाओं में कितना खेल हो रहा होगा?
प्रशासन की चुप्पी – मिलीभगत के संकेत?
मामला ज़िला प्रशासन तक पहुँच चुका है, लेकिन अब तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। कलेक्टर और एसडीएम को शिकायतें मिलने के बाद भी अगर दोषियों पर गाज नहीं गिरती, तो यह सीधी-सीधी मिलीभगत का संकेत है। आमजन पूछ रहे हैं कि आखिर किसके दबाव में अधिकारी चुप बैठे हैं?
पंचायत सचिव और सरपंच कटघरे में
बिल पर मौजूद हस्ताक्षर पंचायत सचिव और सरपंच की भूमिका को साफ़ तौर पर कटघरे में खड़ा करते हैं। बिना उनकी सहमति के भुगतान असंभव था। ज़ाहिर है कि भ्रष्टाचार की डोर यहीं से शुरू होती है।
नतीजा साफ़ है –
शहडोल की इस पंचायत ने दिखा दिया कि भ्रष्टाचार अब किसी शर्म-लिहाज़ का मोहताज नहीं रहा। सवाल उठता है कि क्या अब भी प्रशासन जागेगा या फिर जनता को बार-बार ऐसे घोटाले झेलने पड़ेंगे?